कोलकाता, 19 सितंबर। आरजी कर मेडिकल कॉलेज दुष्कर्म एवं हत्याकांड मामले में पुलिस की असामान्य सक्रियता पर सवाल उठ रहे हैं। नौ अगस्त की शाम को हुए पोस्टमॉर्टम और उसके बाद रात में ही अंतिम संस्कार के लिए शव को भेजे जाने को लेकर सीबीआई जांच कर रही है। सीबीआई के सूत्रों का कहना है कि मृतक के परिवार द्वारा पोस्टमॉर्टम की दोबारा मांग के बावजूद पुलिस ने जल्दबाजी में कार्यवाही करते हुए शव को जलाने की कोशिश की।

सामान्यतया, शाम के बाद पोस्टमॉर्टम नहीं किया जाता है, लेकिन इस मामले में इसे उच्च अधिकारियों की अनुमति से अंजाम दिया गया। सीबीआई की ओर से बताया गया कि यह मामला साधारण नहीं है और इसके पीछे प्रभावशाली लोगों का हाथ होने का संदेह है।

तलाशी में यह भी पता चला है कि स्थानीय थाना प्रभारी और अन्य संबंधित अधिकारी इस मामले में प्रभावशाली लोगों के इशारे पर काम कर रहे थे। सीबीआई ने जांच के दौरान मृतक के माता-पिता की इस मांग को भी नज़रअंदाज करने के पीछे की मंशा का पता लगाने की कोशिश की, जिनकी मांग थी कि शव को रात में सुरक्षित रखा जाए और दूसरे दिन फिर से मुआयना किया जाए।

सीबीआई के एक अधिकारी ने कहा कि, “मृतक के परिवार ने दुबारा पोस्टमॉर्टम के लिए अनुरोध किया था, जिसे बिना किसी ठोस कारण के खारिज कर दिया गया। शव को रात में जलाने के लिए पुलिस द्वारा दिखाई गई सक्रियता संदेहास्पद है।”

सीबीआई की जांच इस बात पर भी केंद्रित है कि थाना प्रभारी अकेले ही इस तरह के फैसले कैसे ले सकता था। जांच के दौरान टाला थाने के पूर्व ओसी अभिजीत मंडल के मोबाइल फोन के कॉल डिटेल से महत्वपूर्ण सुराग मिले हैं।

सूत्रों के अनुसार, प्रभावशाली लोग अस्पताल में मौजूद थे और उनकी भूमिका इस मामले में छिपी हुई है। यह भी संदेह जताया जा रहा है कि वे अपराध के सबूतों को नष्ट करने में शामिल थे। सीबीआई अब इस पहलू की गहराई से जांच कर रही है और मामले से जुड़े नए तथ्य सामने आ रहे हैं।