
कोलकाता, 8 अगस्त।
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में शुक्रवार रात आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में पिछले वर्ष हुई जूनियर महिला डॉक्टर की रेप और हत्या की पहली बरसी से एक दिन पहले हज़ारों लोगों ने मशाल रैली निकालकर सीबीआई की जांच पर सवाल उठाए। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) एक साल बाद भी इस जघन्य कांड के पीछे की ‘बड़ी साजिश’ का खुलासा करने में नाकाम है।
शुक्रवार रात कॉलेज स्क्वायर से शुरू हुई इस मशाल रैली का आयोजन ‘वेस्ट बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट’ ने किया। इसमें बड़ी संख्या में डॉक्टरों के साथ आम लोग भी शामिल हुए। रैली श्यामबाजार पांचमाथा मोड़ तक पहुंची, जो आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल से कुछ ही दूरी पर है। प्रदर्शन देर रात तक चलता रहा और प्रतिभागियों ने सुबह चार बजे तक वहां रहकर विरोध प्रदर्शन किया।
पिछले साल अगस्त में अस्पताल के सेमिनार हॉल से पीड़िता का शव बरामद हुआ था। शुरुआती जांच में कोलकाता पुलिस और राज्य प्रशासन पर आरोप लगे थे कि उन्होंने जांच को लापरवाही से अंजाम दिया और मास्टरमाइंड को बचाने की कोशिश की। बाद में मामला सीबीआई को सौंपा गया, लेकिन जांच एजेंसी ने भी केवल कोलकाता पुलिस के निष्कर्षों को मंजूरी देते हुए सिविक वॉलिंटियर संजय रॉय को ही एकमात्र दोषी ठहराया। इससे आंदोलनकारियों का गुस्सा और निराशा दोनों बढ़ गए।
शुक्रवार को पीड़िता के माता-पिता दिल्ली से लौटे, जहां उन्होंने सीबीआई निदेशक से मुलाकात की थी। कोलकाता पहुंचने पर उन्होंने मीडिया से कहा, “हमने सीबीआई निदेशक को साफ कहा कि उनकी एजेंसी हमारी बेटी के मामले में पूरी तरह नाकाम रही है। शुरू में हमें सीबीआई पर भरोसा था, लेकिन एक साल बाद यह भरोसा पूरी तरह खत्म हो गया है।”
रैली के बैनरों और नारों में इस बार निशाना राज्य सरकार और कोलकाता पुलिस की बजाय सीधे सीबीआई पर था, जो पिछले साल के विरोध प्रदर्शनों के नारेबाज़ी से बिल्कुल अलग था। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जब तक इस ‘बड़ी साजिश’ के असली सूत्रधार सामने नहीं आते, आंदोलन जारी रहेगा।