कोलकाता, 11 सितंबर। आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में महिला चिकित्सक की बलात्कार के बाद हत्या के मामले में पोस्टमार्टम को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। नियमों के अनुसार, सूर्यास्त के बाद पोस्टमार्टम नहीं किया जा सकता, लेकिन इस मामले में ऐसा किया गया, जिससे बोर्ड के एक सदस्य ने आपत्ति जताई थी। बावजूद इसके, पुलिस और अस्पताल प्रशासन ने पोस्टमार्टम की प्रक्रिया को जल्दबाजी में पूरा कर लिया, जिससे यह मामला अब सुर्खियों में है।
राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने 2021 में एक एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) जारी की थी, जिसमें स्पष्ट रूप से बताया गया था कि हत्या, आत्महत्या, बलात्कार, सड़ी-गली लाश या संदिग्ध मौत के मामलों में केवल कानून-व्यवस्था की गंभीर समस्या होने पर ही रात के समय पोस्टमार्टम किया जा सकता है। इस एसओपी में यह भी स्पष्ट किया गया था कि यदि ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है तो पुलिस की विशेष अनुमति की आवश्यकता होती है। बावजूद इसके, आरजी कर अस्पताल में नौ अगस्त को एक महिला चिकित्सक की संदिग्ध मौत के बाद उसी शाम पोस्टमार्टम करने की योजना बनाई गई।
मामले की गंभीरता को देखते हुए, आरजी कर अस्पताल के सुप्रिटेंडेंट ने एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया, जिसमें फॉरेंसिक मेडिसिन के प्रोफेसर अपूर्व विश्वास, एसोसिएट प्रोफेसर रीना दास और नीलरतन सरकार मेडिकल कॉलेज की असिस्टेंट प्रोफेसर मली बंद्योपाध्याय को शामिल किया गया। हालांकि, बोर्ड के एक सदस्य ने अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए यह स्पष्ट किया था कि सूर्यास्त के बाद पोस्टमार्टम करने के लिए पुलिस की विशेष अनुमति अनिवार्य है और इसके साथ ही उन्होंने 2021 के स्वास्थ्य विभाग की उस एसओपी का संदर्भ भी दिया, जिसमें इस प्रकार के मामलों के लिए निर्देश दिए गए थे।
इसके बाद, टाला थाना के एक सब-इंस्पेक्टर ने फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग के प्रमुख चिकित्सक प्रवीर चक्रवर्ती को एक पत्र भेजा, जिसमें यह दावा किया गया कि विशेष कारणों के चलते शाम चार बजे के बाद ही पोस्टमार्टम करना जरूरी है। इस पत्र को टाला थाना के ओसी अभिजीत मंडल ने भी फॉरवर्ड किया, और इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने मौखिक निर्देशों के आधार पर पोस्टमार्टम की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया। शाम को पोस्टमार्टम करने का निर्णय क्यों लिया गया, इस पर वरिष्ठ चिकित्सकों ने शुरू से ही सवाल उठाए थे।
एक और महत्वपूर्ण सवाल यह उठाया गया है कि आर जी कर मेडिकल कॉलेज में जब शव को सुरक्षित रखने की पूरी व्यवस्था थी, तब भी सूर्यास्त के बाद पोस्टमार्टम क्यों किया गया? इसके साथ ही, इस बात पर भी चर्चा हो रही है कि मात्र तीन महीने पहले आरएमओ से असिस्टेंट प्रोफेसर बने एक चिकित्सक को किस प्रकार इस मेडिकल बोर्ड में शामिल किया गया। वरिष्ठ चिकित्सकों ने आरोप लगाया है कि इस पूरे मामले में ‘उत्तरबंग लाबी’ के दो चिकित्सकों को जानबूझकर बोर्ड में शामिल किया गया।
इस बीच, महिला चिकित्सक के माता-पिता ने आरोप लगाया कि वे अपने बेटी के शव को कुछ समय के लिए रखना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी। अब जब बोर्ड के सदस्य द्वारा दर्ज की गई आपत्ति और टाला थाना का पत्र सार्वजनिक हो गया है, तो इन आरोपों को और बल मिला है।
इस पूरे प्रकरण ने आर जी कर अस्पताल और कोलकाता पुलिस के कामकाज पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब यह देखना बाकी है कि इस मामले में आगे क्या कानूनी कार्रवाई होती है और क्या यह विवाद और बढ़ता है।