कोलकाता, 26 सितंबर । आर.जी. कर अस्पताल में हुए बलात्कार-हत्या के मामले में पोस्टमार्टम करने वाली टीम के फोरेंसिक सर्जन और शव परीक्षण सहायक के बयानों में विरोधाभास सामने आया है। सीबीआई द्वारा गुरुवार को दी गई जानकारी के अनुसार, इन दोनों के बयानों में असंगतियों ने जांच अधिकारियों के संदेह को और गहरा कर दिया है, खासकर पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मसौदे और प्रक्रिया को लेकर।

सीबीआई टीम ने बुधवार को दोनों को एक साथ पूछताछ के लिए बुलाया था। इस दौरान उनके बयानों में विरोधाभासों को चिह्नित किया गया, जिससे पोस्टमार्टम प्रक्रिया में बड़ी चूक की आशंका प्रबल हो गई है। विशेष रूप से, शव पर पाए गए घावों के प्रकार के बारे में दोनों के बयानों में सबसे अधिक विरोधाभास पाया गया।

सूत्रों के अनुसार, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जिन घावों का जिक्र किया गया है, वे पीड़िता के बैचमेट द्वारा पोस्टमार्टम से पहले खींची गई तस्वीरों से मेल नहीं खाते। ये तस्वीरें पहले ही जांच अधिकारियों द्वारा प्राप्त की जा चुकी हैं।

जांच टीम ने पीड़िता के बैचमेट के मोबाइल फोन से ली गई तस्वीरों को केंद्रीय फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) को आगे की जांच के लिए भेज दिया है। अधिकारियों को उम्मीद है कि सीएफएसएल से मिलने वाली रिपोर्ट इस दर्दनाक घटना से जुड़े और भी महत्वपूर्ण सुराग प्रदान करेगी।

इसके साथ ही, सीबीआई ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मसौदे और प्रक्रिया में कई चूकें भी चिह्नित की हैं। सबसे पहले, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उपयोग की गई भाषा गैर-तकनीकी पाई गई, जिसमें आवश्यक चिकित्सा शब्दों का अभाव है। इसके अलावा, पोस्टमार्टम सूर्यास्त के बाद किया गया, जो सामान्य प्रोटोकॉल के खिलाफ है। अंततः, पूरी पोस्टमार्टम प्रक्रिया मात्र 70 मिनट में पूरी कर दी गई, जिसे जांच अधिकारियों ने इस गंभीर मामले के मद्देनजर असामान्य रूप से कम समय माना है।