
पूर्वी सिंहभूम, 10 अगस्त। आनंद मार्ग प्रचारक संघ की ओर से रविवार को गदरा आनंद मार्ग जागृति में तीन घंटे का बाबा नाम केवलम अखंड कीर्तन आयोजित किया गया। इसमें लगभग 300 नारायणों को भोजन कराया गया।
इस अवसर पर कोलकाता रीजन के रीजनल सेक्रेटरी आचार्य ब्रजगोपालानंद अवधूत ने कहा कि आनंद मार्ग के प्रवर्तक भगवान श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने आज ही के दिन वर्ष 1939 में श्रावणी पूर्णिमा की रात काशी के मित्रा घाट पर दुर्दांत डकैत कालीचरण चट्टोपाध्याय को प्रथम दीक्षा दी थी। बाद में वे आचार्य कालिकानंद अवधूत के नाम से प्रसिद्ध हुए। इसे एक नई सभ्यता की नींव रखने वाला दिन माना जाता है।
उन्होंने बताया कि इसी दिन से गुरुदेव ने योग और तंत्र साधना के माध्यम से मुक्ति की आकांक्षा रखने वालों को मार्गदर्शन देना शुरू किया, जिसका प्रभाव आज विश्वभर में लाखों आनंदमार्गियों के सेवा कार्यों के रूप में देखा जा सकता है। आचार्य ब्रजगोपालानंद ने कहा कि परमपुरुष की कृपा वर्षा के समान सर्वत्र बरस रही है, लेकिन अहंकार की छतरी लगाए व्यक्ति उस कृपा से वंचित रह जाता है। अहंकार का त्याग कर ही कृपा वर्षा का रसास्वादन संभव है। यही साधना का रहस्य है।