test शरणागत को अपना बना लेते हैं राम: पुरुषोत्तम तिवारी – OnkarSamachar

कोलकाता, 4 सितंबर। “जो भी छल-कपट छोड़कर केवल भरोसे के साथ भगवान की शरण में आता है, प्रभु राम उसे अपना बना लेते हैं।” यह विचार गृहस्थ पुरुषोत्तम तिवारी ने व्यक्त किए। वे सत्संग भवन ट्रस्ट मंडल एवं विश्वदेवानंद चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में आयोजित श्रीराम कथा के अंतर्गत सुंदरकांड पर प्रवचन दे रहे थे। यह आयोजन पद्मश्री सम्मानित डॉ. कृष्ण बिहारी मिश्र की  स्मृति में स्वामी कृष्णानंद सभागार में हुआ।

पुरुषोत्तम तिवारी ने अपने प्रवचन में रावण और विभीषण की कथा का उल्लेख करते हुए कहा कि जब रावण को मंदोदरी, विभीषण, माल्यवंत और स्वयं हनुमान जी तक ने समझाया कि प्रभु राम से विरोध न करें और सीता माता को लौटा दें, तब भी रावण अपने अभिमान और क्रोध से ग्रसित रहा। उन्होंने कहा कि “सबके भीतर सुमति और कुमति होती है। जहां सुमति होती है, वहां संपत्ति आती है और जहां कुमति होती है, वहां विपत्ति आती है।”

उन्होंने बताया कि विभीषण ने जब रावण का अपमान सहकर प्रभु श्रीराम की शरण ली तो भगवान ने उन्हें सम्मानपूर्वक अपनाया और लंकेश कहकर संबोधित किया। यही संदेश प्रभु ने दिया है कि जो कोई छल-कपट छोड़कर उनकी शरण में आता है, वे उसे अपने परिवार का अंग बना लेते हैं।

प्रवचन के दौरान उन्होंने कहा कि जीवन ईश्वर की कृपा से मिला है, इसे सही तरीके से जीना चाहिए। संत-महापुरुषों का सदैव सम्मान करना चाहिए। साधु का अपमान विनाशकारी होता है, जैसा कि राक्षसों ने हनुमान जी का अपमान किया और उसका परिणाम पूरी लंका का दहन हुआ।

सम्मान समारोह

कार्यक्रम के दौरान अब तक लगभग 190 छात्र-छात्राओं और 50 शिक्षक-शिक्षिकाओं को सम्मानित किया गया। मंच संचालन महावीर प्रसाद रावत ने किया। इस अवसर पर जगमोहन बागला, जयप्रकाश सिंह, अविनाश गुप्ता सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।