मेरठ, 18 जनवरी। अयोध्या धाम में छह दिसम्बर 1992 में हुए विवादित ढांचे के विध्वंस से देशभर के रामभक्तों की यादें जुड़ी हुई हैं। विवादित ढांचे के मलबे से निकली ईंटों को भी यादगार के तौर पर मेरठ के रामभक्त लेकर आए थे और उन्हें आज भी सहेज कर रखे हुए हैं।
अयोध्या धाम में श्रीरामजन्मभूमि आंदोलन में कार सेवा करने के लिए देशभर से लाखों रामभक्त गए थे। इनमें मेरठ के भी हजारों रामभक्त अयोध्या पहुंचे और छह दिसम्बर 1992 को बाबरी ढांचा विध्वंस की घटना के साक्षी बने। मेरठ के पल्हैड़ा चौहान गांव निवासी विहिप नेता कुंवर शीलेंद्र चौहान शास्त्री भी बांबरी ढांचे के विध्वंस में शामिल रहे हैं। ढांचे के मलबे से निकली कई ईंटों को अयोध्या से मेरठ लेकर आए। इन ईंटों को आज भी उन्होंने संभाल कर रखा हुआ है।
आज भी आंखों के सामने घूम जाती है तस्वीर
कुंवर शीलेंद्र चौहान शास्त्री बताते हैं कि छह दिसम्बर 1992 को दस बजे हम सभी लोग पंक्ति में लगे हुए थे। आगे बढ़ते-बढ़ते पुलिस का पहरा सख्त होता जा रहा है। पुलिस को देखकर मुझे पुलिस की बर्बरता का सीन मस्तिष्क में कौंध गया, जिसमें पुलिस ने अशोक सिंघल पर लाठीचार्ज कर दिया था। इसके बाद कारसेवकों का जोश इतना बढ़ गया कि विवादित ढांचे का विध्वंस होने लगा। वह खुद भी अपने साथियों के साथ इसमें शामिल थे। शाम तक पूरे ढांचे का नामोनिशान मिट गया।
ईंट उठाकर मेरठ लेकर आ गए
इसके बाद ढांचे के विध्वंस की याद को ताजा रखने के लिए शीलेंद्र चौहान अपने साथियों के साथ मलबे से ईंट लेकर मेरठ आए। इन ईंटों को कई साथियों ने अभी तक संभाल कर रखा हुआ है। अब अयोध्या धाम में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने से सभी रामभक्त उत्साह से लबरेज है।
प्रमुख कार्यकर्ताओं को दिए गए थे श्रीराम के विग्रह
विहिप द्वारा श्रीरामजन्मभूमि आंदोलन में सक्रिय रहे प्रमुख लोगों को श्रीराम प्रभु के विग्रह दिए गए थे। इससे श्रीराम मंदिर निर्माण होने तक उनकी पहचान अक्षुण्ण रखने के लिए दिए गए थे। यह विग्रह आज भी कार्यकर्ताओं के घरों में सुरक्षित है और प्रतिदिन भगवान श्रीराम की आराधना की जाती है।
प्राण प्रतिष्ठा : लाठी खाई, जेल गए, सबूत के तौर पर लाए विवादित ढांचा की ईंट
फिरोजाबाद। राममंदिर आंदोलन के दौरान जेल जाने वाले शिवचरन भारती प्राण प्रतिष्ठा को लेकर काफी खुश हैं। उन्होंने कहा कि मैं सौभाग्यशाली हूं, मुझे भी राम मंदिर आंदोलन में कारसेवा का मौका मिला। उन्होंने बताया कि जिस दिन विवादित ढांचा गिरा, वह उस दिन अयोध्या में ही थे। डर भी था, लेकिन मन प्रफुल्लित था कि विवादित ढांचा ढह रहा है। जब कुछ ही क्षणों में ढांचा ढह गया तो सबूत के तौर पर एक ईंट हम भी साथ लेकर आए।
फिरोजाबाद शहर के चंद्रवार गेट निवासी शिवचरन भारती (78) ने बताया कि सम्पूर्ण भारत में राम मंदिर निर्माण को लेकर आंदोलन चल रहा था। नगर के सदर बाजार स्थित प्रमुख राधाकृष्ण मंदिर में वह अरुण पालीवाल के साथ कीर्तन कर रहे थे। इसी दौरान थाना प्रभारी ध्रुवलाल यादव फोर्स के साथ आ धमके। पुलिस ने बिना बताए, राम भक्तों पर लाठीचार्ज कर दिया। पुलिस ने सभी को गिरफ्तार कर लिया और थाना मटसेना भेज दिया। वहां से उन्हें अस्थाई जेल हिरनगांव और फिर मैनपुरी जेल भेज दिया गया। मैनपुरी जेल से उन्हें फतेहगढ़ जेल भेज दिया गया।
उन्होंने बताया कि हम लोगों को परिजन खोजते रहे, लेकिन कोई कुछ बताने को तैयार नहीं था। जेल जाने के बाद भी आंदोलन जारी रखा। 1992 में अयोध्या जाने को रेल व बस सेवाएं बंद कर दी गई थी। किसी तरह छिपते छिपाते हुए बलवीर सिंह कुशवाह के साथ अयोध्या पहुंचे और छह दिसंबर को विवादित ढांचा ढह जाने के बाद सबूत के तौर पर एक ईंट लेकर आए। भारती ने कहा कि कारसेवक के रूप में हम सभी रामभक्तांे का सपना आज पूरा हो रहा है। 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होगी। मेरी अंतिम इच्छा है कि रामलला के एक बार दर्शन का मौका मिले। मैं दर्शन करने अवश्य जाऊंगा।