नई दिल्ली, 5 अगस्त। राज्यसभा ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन को छह महीने के लिए बढ़ाने का प्रस्ताव मंगलवार को पारित कर दिया। लोकसभा में यह प्रस्ताव 30 जुलाई को ही पारित किया जा चुका है। राज्यसभा में मंगलवार को दोपहर दो बजे के बाद शुरू हुई कार्यवाही के दौरान गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने विपक्ष की नारेबाजी के बीच सदन में प्रस्ताव पेश किया।

राज्यसभा के उपसभापति ने इस पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस सदस्य इमरान प्रतापगढ़ी को बोलने का मौका दिया लेकिन उन्होंने बोलने से इन्कार कर दिया। इसके बाद बोलने के लिए तृणमूल कांग्रेस की सदस्य सुष्मिता देव का नाम पुकारा, लेकिन उन्होंने नियम 259 के तहत बिहार विशेष गहन पुनरीक्षण पर चर्चा कराने की बात रखनी चाही और सदन में हंगामा शुरू हो गया। त्रिची शिवा ने भी एसआईआर पर चर्चा कराने की बात कही।

नित्यानंद राय ने प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि मणिपुर में हिंसा उच्च न्यायालय के आरक्षण संबंधी आदेश के कुछ पहलुओं के कारण फैली थी और वहां संघर्ष जातीय था, धार्मिक नहीं था। पिछले आठ महीनों में राज्य में हिंसा की केवल एक घटना हुई है जिसमें एक व्यक्ति की मौत हुई है और पिछले चार महीनों में एक भी नहीं हुई है। राय ने कहा कि राज्य में शांति और सामान्य स्थिति लौट रही है और इसे जारी रखने के लिए राष्ट्रपति शासन को बढ़ाना आवश्यक पाया गया। उन्होंने संविधान के अनुछेद 356ए के तहत मणिपुर में राष्ट्रपति शासन छह महीने और बढ़ाने का प्रस्ताव सदन की पटल पर रखा। इसके बाद इसे सदन में पारित कर दिया।

उल्लेखनीय है कि 13 फरवरी 2025 को राष्ट्रपति ने अनुच्छेद 356 के तहत मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की घोषणा की थी। लागू होने के बाद यह राष्ट्रपति शासन 6 महीने तक वैध होता है। 13 अगस्त 2025 को इसकी अवधि समाप्त हो रही है। इसलिए अब इसे अगले 6 महीने तक बढ़ाने का प्रस्ताव संसद में रखा गया। मणिपुर के मुख्यमंत्री पद से एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के चार दिन बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया गया।