जोधपुर, 20 जनवरी। राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर के न्यायाधीश दिनेश मेहता द्वारा आपराधिक एकल पीठ याचिका की सुनवाई करते हुए आरजीएचएस कैंसर ड्रग स्कैम से जुड़े प्रकरण में स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के आदेश प्रदान किए हैं।

परिवादी विजेन्द्र दवे के अधिवक्ता प्रवीण दयाल दवे ने बताया कि परिवादी की माता श्रीमती मंजुरानी दवे सेवानिवृत है, अग्नाश्य कैंसर से पीड़ित है, जिनका इलाज मेंदाता अस्पताल गुडगांव में शुरू हुआ, जिन्हें जोधपुर रेफर करने के बाद उनके द्वारा डॉ. व्यास से इलाज लेना प्रारम्भ किया गया। तब से वे झंवर मेडिकल जालोरी गेट, जोधपुर से दवाइयां लेती थी। इलाज के दौरान तकरीबन हर माह पचास हजार रुपये की दवाइयां आती थी। दुकानदार जुगल झंवर, तुषार झंवर व अन्य द्वारा परिवादी की माताजी को भरोसे एवं विश्वास में लेकर हर माह दवाइयां घर पर पहुंचाने का लालच देकर, उनके मोबाईल से ओ.टी.पी. लेकर दवाइयां घर पर भिजवाना शुरू किया। पीडिता जो कि वृद्ध एवं कैंसर पीड़ित है वो दुकानदार को सेवा भावी समझकर, ओटीपी. देती गईं। बाद में समाचार पत्र से जानकारी हुई कि जुगल झंवर व अन्य पर दवाई घोटाले का आरोप लगा है। उन्होंने उनके नाम से भी कार्ड का दुरूपयोग कर अवैध राशि उठाई है।

तब उनके द्वारा थाना महामंदिर में न्यायालय के मार्फत उनके साथ धोखाधडी कर, कूटरिचत प्रिस्क्रप्सन,बिल, स्लीप आदि तैयार करने, व उनके नाम का दुरुपयोग कर राशि उठा ले लेने की एफ.आई.आर.संख्या 0551/2023 दर्ज करवायी गयी। जिसमें पुलिस के अभियुक्तों को गिरफ्तार न करने पर, न ही उनके सम्पूर्ण कूटरचित दस्तावेज, प्रिस्क्रप्सन स्लीप, दवाइयों के बिल व धोखाधडी पूर्वक हड़पी गई राशि बरामद न कर , कार्रवाई न करने पर परिवादी द्वारा राजस्थान उच्च न्यायालय की शरण लेकर एकलपीठ आपराधिक विविध याचिका प्रस्तुत की। जिसे राजस्थान उच्च न्यायालय ने स्वीकार कर, पुलिस अधीक्षक जोधपुर के समक्ष अभ्यावेदन मय दस्तावेज दो सप्ताह के भीतर-भीतर प्रस्तुत करने का आदेश देते हुए पुलिस को स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं पारदर्शी अनुसंधान करने के आदेश पारित किये है। सरकार की ओर से जावेद गौरी और परिवादी की ओर से प्रवीण दयाल दवे एडवोकेट द्वारा पक्ष रखा है।