कोलकाता, 26 फरवरी । पश्चिम बंगाल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की नई 80 सदस्यीय राज्य समिति के गठन के बाद पार्टी के भीतर ही कई सवाल उठने लगे हैं। मंगलवार को घोषित इस समिति में माकपा के पोलित ब्यूरो सदस्य मोहम्मद सलीम को लगातार दूसरी बार राज्य सचिव बनाया गया है।

सबसे बड़ा सवाल है कि समिति में 11 नए सदस्यों को जगह दी गई है, लेकिन इनमें से एक भी पार्टी के छात्र और युवा शाखा से नहीं है, जबकि नेतृत्व लगातार नए चेहरों को आगे लाने की बात कर रहा था।

दूसरा बड़ा सवाल उत्तर 24 परगना जिले के पूर्व जिला सचिव मृणाल चक्रवर्ती को लेकर है। आंतरिक चुनाव में पराजित होने के बावजूद उन्हें नई राज्य समिति में क्यों शामिल किया गया? यह चुनाव 27वें राज्य सम्मेलन से पहले हुए थे, जिसके बाद मंगलवार को नई समिति की घोषणा की गई।

तीसरा सवाल वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री अशोक भट्टाचार्य को लेकर है। उम्र के कारण उन्हें नई समिति से बाहर कर दिया गया, लेकिन उन्हें विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में भी जगह नहीं दी गई। इसी तरह राज्यसभा सदस्य और कलकत्ता हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता बिकाश रंजन भट्टाचार्य को भी विशेष आमंत्रित सदस्य के तौर पर शामिल नहीं किया गया।

पार्टी सूत्रों के मुताबिक, राज्य नेतृत्व इस बार समिति के गठन में ज्यादा प्रयोग करने के पक्ष में नहीं था। इसका मुख्य कारण आगामी विधानसभा चुनाव हैं, जिनमें पार्टी को अकेले लड़ने या कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे की पुरानी रणनीति जारी रखने—दोनों ही परिस्थितियों के लिए तैयार रहना होगा।

इस बीच, अप्रैल में तमिलनाडु के मदुरै में होने वाले माकपा के 24वें पार्टी कांग्रेस के लिए जारी राजनीतिक प्रस्ताव के मसौदे में स्वतंत्र राजनीतिक रणनीति पर अधिक जोर दिया गया है। इसमें कहा गया है कि पार्टी को अपने स्वतंत्र अभियान और जन आंदोलन को प्राथमिकता देनी चाहिए, न कि सिर्फ चुनावी गठबंधन पर निर्भर रहना चाहिए।