नई दिल्ली, 24 नवंबर । कतर की अदालत ने नौसेना के उन पूर्व आठ अधिकारियों की ओर से दायर याचिका स्वीकार कर ली है जिन्हें फांसी की सजा सुनाई गई है। इन अधिकारियों की अपील पर जल्द सुनवाई होने की उम्मीद जताई जा रही है।
नौसेना के अधिकारियों को मौत की सजा के खिलाफ याचिका भारत सरकार ने दायर की है। 23 नवंबर 2023 को कतर की अदालत ने याचिका को स्वीकार कर लिया। उम्मीद है कि याचिका का अध्ययन कर सुनवाई जल्द शुरू की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि कतर की देहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजी एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज नामक कंपनी के लिए काम कर रहे भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों को अगस्त 2022 में गिरफ्तार किया गया था। कतर की सरकार इन पर लगाए गए आरोपों की जानकारी नहीं दी। गत 26 अक्तूबर 2023 को कतर की अदालत ने इन्हें मौत की सजा सुना दी।
कतर सरकार ने इन पर लगे आरोपों को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया है। माना जा रहा है कि यह गिरफ्तारियां सुरक्षा संबंधी अपराध के आरोप में हुई हैं। कतर के मीडिया का कहना है कि भारतीय अधिकारी इस्राइल के लिए जासूसी कर रहे थे। भारत सरकार ने भी आरोपों की जानकारी नहीं दी है।
कतर सरकार ने इन अधिकारियों की गिरफ्तारी को कई दिनों तक गुप्त रखा। इसकी जानकारी कतर में मौजूद भारतीय दूतावास के अधिकारियों को भी नहीं दी गई। एक अक्टूबर 2022 को दोहा में भारत के राजदूत और मिशन के उप-प्रमुख ने इन पूर्व अफसरों से मुलाकात की। तीन अक्तूबर 2022 को पहला काउंसलर एक्सेस दिया गया। 25 मार्च 2023 को सभी आठों अधिकारियों के खिलाफ आरोप तय किए गए और 29 मार्च से मुकदमा शुरू हो गया। 26 अक्तूबर 2023 को सभी को मौत की सजा सुनाई गई।
नौसेना के जिन पूर्व अधिकारिया केा मौत की सजा सुनाई गई है उनमें कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर पूर्णेन्दु तिवारी, कमांडर सुग्नाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और सेलर रागेश शामिल हैं।
ये भारतीय जिस कंपनी के लिए काम करते थे, उसके सीईओ खामिल अल आजमी ओमान एयरफोर्स के अफसर रह चुके हैं। पहले आजमी को भी पहिरासत में लिया गया था लेकिन बाद में उन्हें छोड़ दिया गया ।