विद्या भवन पॉलिटेक्निक में ‘माइंड मैनेजमेंट’ कार्यशाला

उदयपुर, 02 जनवरी। अवचेतन मन मिट्टी की तरह है, जो अच्छे या बुरे किसी भी प्रकार के बीज को स्वीकार कर लेता है। हम अच्छा सोचेंगे तो अच्छा होगा और बुरा सोचेंगे तो बुरा। जब सोच सामंजस्यपूर्ण और रचनात्मक होती है, तो उत्तम स्वास्थ्य, सफलता और समृद्धि मिलती है।

यह विचार माइंड मैपिंग विशेषज्ञ विनोद पुरोहित ने विद्या भवन पॉलिटेक्निक में आयोजित माइंड मैनेजमेंट कार्यशाला में व्यक्त किये।

पुरोहित ने कहा कि हम मानसिक रूप से जो भी महसूस करते हैं, अवचेतन मन उसे स्वीकार कर लेता है और उसी प्रकार से हमारे व्यक्तित्व, हमारे भविष्य व भाग्य को बना देता है।

अवचेतन मन कभी बहस नहीं करता, इसलिए यदि इसे गलत सुझाव देते हैं, तो यह उन्हें सच मान लेगा और उसी अनुरूप स्थितियों, अनुभवों और घटनाओं को सामने लाएगा।

पुरोहित ने कहा कि नकारात्मक लोग या हमारी अपनी नकारात्मकता धीरे धीरे हमारे विचारों, व्यहवार को प्रभावित करते हैं और हमारा व्यक्तित्व भी वैसा ही बन जाता है, लेकिन यह तभी होता है जब ऐसा होने के लिए हम मानसिक सहमति देते हैं।

अवचेतन मन हमारी भावनाओं और विचारों का स्थान है, जबकि चेतन मन एक पहरेदार है जो अवचेतन मन को गलत धारणाओं, नकारात्मकता से बचाता है। चेतन मन के विचारों की प्रकृति के अनुसार ही अवचेतन मन प्रतिक्रिया करता है। इसलिए यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अपने अवचेतन को केवल रचनात्मक, सृजनशील व अच्छे सुझाव दिए जाएं। ऐसे विचार दें जो स्वस्थ करें, आशीर्वाद दें, उन्नत करें और प्रेरित करें, अन्यथा नकारात्मक रूप में यह दुख, विफलता, पीड़ा, बीमारी और आपदा ही लाएंगे।

कार्यशाला के प्रारंभ में प्राचार्य डॉ अनिल मेहता ने पुरोहित का स्वागत किया। डॉ सुनील जगासिया, जय प्रकाश श्रीमाली, डॉ भगवती अहीर, डॉ विक्रम कुमावत ने सृजनशीलता पर विचार रखे।