काठमांडू, 7 जुलाई । प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली द्वारा आज संसद की प्रतिनिधि सभा को संबोधित करने का कार्यक्रम शामिल है। ओली की सरकार से दो छोटे दलों के द्वारा समर्थन वापस लिए जाने के बाद वो आज प्रतिनिधि सभा की एक बैठक को संबोधित करने वाले हैं।

पिछले हफ्ते पहले उपेंद्र यादव के नेतृत्व में रही जनता समाजवादी पार्टी (जसपा) नेपाल और उसके बाद रंजिता श्रेष्ठ के नेतृत्व में रही नागरिक उन्मुक्ति पार्टी ने सरकार को दिए जा रहे समर्थन को वापस लेने का निर्णय किया था। जसपा नेपाल ओली सरकार को बाहर से समर्थन कर रही थी जबकि नागरिक उन्मुक्ति पार्टी सरकार में सहभागी थी और उसका एक राज्यमंत्री का प्रतिनिधत्व था।

ओली सरकार पर असफल होने, गठबंधन धर्म का पालन नहीं करने, अपनी मनमानी चलाने, बजट में छोटे दलों की मांग को अनसुना किए जाने और सभी प्रमुख राजनीतिक और नीतिगत फैसले में इन दलों को सहभागी नहीं कराने का आरोप लगाते हुए इन पार्टियों ने अपना समर्थन वापस लिया है।

दो दलों के द्वारा समर्थन वापसी के फैसले के बाद इस पर प्रधानमंत्री केपी ओली संसद में अपनी बात रखने वाले हैं। हालांकि उनकी पार्टी नेकपा एमाले की तरफ से इन दोनों दलों से वार्ता भी की जा रही है और उन्हें मानने का प्रयास जारी है। वैसे इन दोनों दलों के समर्थन वापस लेने के बाद भी सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है क्योंकि नेपाल कांग्रेस और एमाले को मिला कर ही सामान्य बहुमत से काफी अधिक है। 275 सांसदों वाले प्रतिनिधि सभा में बहुमत के लिए 138 सांसदों की आवश्यकता होती है। प्रतिनिधि सभा में पर्याप्त बहुमत होने के बावजूद ओली सरकार राष्ट्रीय सभा में अल्पमत में आ गई है जहां उसे अब सामान्य बहुमत भी नहीं है।

इस समय प्रधानमंत्री ओली के पास नेपाली कांग्रेस के 88 और एमाले के 79 के अलावा अन्य छोटे दलों के 17 सांसदों यानि 184 सांसदों का समर्थन प्राप्त है। यह संख्या प्रतिनिधि सभा के दो तिहाई सांसदों का समर्थन को दर्शाता है। समर्थन वापसी लेने वाले जसपा के पास 5 और नागरिक उन्मुक्ति के पास सिर्फ 4 सांसद मौजूद हैं।

इन दो दलों की तरफ से सरकार से समर्थन वापसी का फैसला ऐसे समय आया जब प्रधानमंत्री ओली स्पेन की आधिकारिक यात्रा पर थे। संघीय संसद सचिवालय के अनुसार, प्रधानमंत्री ओली सरकार से समर्थन वापसी के बाद उपजी राजनीतिक परिस्थिति पर सांसदों को जानकारी देंगे।