नई दिल्ली, 21 दिसंबर। प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ पीरियॉडिकल विधयेक 2023 गुरुवार को लोकसभा से पारित हो गया।
गुरुवार को लोकसभा में इस विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ पीरियॉडिकल्स विधयेक 2023 के माध्यम से गुलामी की मानसिकता से बाहर निकलकर नए भारत के लिए एक नया कानून लाने का कार्य किया गया है। उन्होंने चर्चा के दौरान पुराने कानून के बारे में कहा कि सन 1867 के अधिनियम के तहत अंग्रेजों की मानसिकता थी कि प्रेस को अपने अधीन रखें। यहां तक कि उनके लिए रजिस्ट्रेशन करना भी अपने आप में बहुत बड़ी चुनौती थी। प्रिंटिंग प्रेस लगाना या पब्लिशर बनना, ये अपने आप में बहुत बड़ी बात थी। इसमें डिस्ट्रिक्ट मैजिस्ट्रेट (डीएम) का अहम भूमिका होती थी। 8 चरणों में पूरी प्रक्रिया पूरी होती थी। डीएम के पास जा कर पंजीकरण करने से लेकर रजिस्ट्रार न्यूजपेपर ऑफ इंडिया के पास तक आठ प्रक्रिया पूरी करनी पड़ती थी।
उन्होंने कहा कि इस विधेयक के पारित हो जाने से केवल दो महीने के अंदर आपको अपना समाचार पत्र हो या पत्रिका हो उसकी अनुमति मिल जाएगी। यह बेहद सरल है और स्मार्ट भी है। पहले डीएम के पास रजिस्टर करना पड़ता और फिर रजिस्ट्रार ऑफ न्यूजपेपर के पास अनुमति लेनी पड़ती थी, अब ऐसा नहीं है। अब डीएम के पास भी और आरएनआई के पास भी एक ही समय पर आप रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। अगर डीएम 60 दिन में जवाब नहीं भी देता तो आरएनआई ही आपको अनुमति दे देगी। इससे बहुत बड़ी सुविधा मिलने वाली है।
उन्होंने कहा कि ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ को बल देने का काम नरेन्द्र मोदी की ही सरकार ने किया है। हजारों पुराने कानून या ऐसे कानून जिनकी आवश्यकता नहीं थी उनसे भी मुक्ति दिलाने का काम सरकार ने किया है। विधेयक में जितने भी सजा वाले प्रावधान थे, उन्हें हटा दिया गया है। केवल एक ही ऐसा प्रावधान है, जहां पर अगर आपने अनुमति ना ली हो प्रिटिंग प्रेस शुरू करने (पब्लिशिंग) की उसमें भी आपको 6 महीने का प्रावधान दिया है कि इसे बंद कर दें और अनुमति लें। अगर यह ना करें तब जाकर आपको सजा होगी।
क्या है प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ पीरियॉडिकल विधयेक 2023
इसी सरल भाषा में समझिए कि अगर आप कोई पीरियॉडिकल या कोई पत्रिका या कोई अखबार निकालना चाहते हैं तो ऐसी पत्रिकाओं का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होता है। प्रेस और पीरियॉडिकल का रजिस्ट्रेशन विधेयक लागू होने से 1867 का प्रेस और पुस्तक पंजीकरण अधिनियम रद्द हो जाएगा। पुराने अधिनियम में डिजिटल मीडिया शामिल नहीं था जबकि नए अधिनियम में डिजिटल मीडिया को शामिल किया जाएगा। इसमें रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को आसान करने और आधुनिकीकरण को प्राथमिकता दी गई है।
इस विधेयक में क्या है विशेष –
नए प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ पीरियॉडिकल विधेयक में समाचार पत्रों, पीरियॉडिकल्स और पुस्तकों के पंजीकरण का प्रावधान किया गया है। विधेयक के तहत प्रिंटर या पब्लिशर को डीएम को डिक्लेरेशन देना होगा। डीएम इसे प्रेस रजिस्ट्रार को भेजेंगे। इसके बाद प्रेस रजिस्ट्रार पंजीकरण का प्रमाणपत्र जारी करेगा। पीरियॉडिकल्स के पब्लिशर्स प्रेस रजिस्ट्रार जनरल को ऑनलाइन अप्लाई कर पंजीकरण पत्र पा सकते हैं। जिस व्यक्ति को किसी आतंकी गतिविधियों या गैर-कानूनी कार्य में संलिप्त पाया जाएगा, उसे पीरियॉडिकल्स छापने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
पंजीकरण प्रक्रिया ऑनलाइन होने की वजह से रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में पारदर्शिता आ जाएगी। इसके अलावा प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ पीरियॉडिकल विधेयक 2023 में पीआरबी अधिनियम के तहत दंडात्मक प्रावधानों को समाप्त करने की बात की गई है। सरलीकरण पर ध्यान देने के अलावा यह बिल प्रिंट मीडिया क्षेत्र के भीतर जवाबदेही और पारदर्शिता पर भी जोर देता है. यह पंजीकृत प्रकाशनों के रिकॉर्ड बनाए रखने के लिए विशिष्ट गाइडलाइन की रूपरेखा तैयार करता है और गैर-अनुपालन के लिए जुर्माना लगाता है।