सरायकेला, 01 जून । राजनगर प्रखंड के ग्राम नीमडीह में ईचा खरकई बांध विरोधी संघ कोल्हान की ओर से ईचा डैम के पुनर्निर्माण के प्रस्ताव और सहमति के विरोध में रविवार को  बैठक आयोजित की गई।  बैठक की अध्यक्षता ग्राम प्रधान महावीर महतो ने की। बैठक में उपस्थित ग्रामीणों ने एकजुट होकर जनजाति सलाहकार परिषद (टीएसी) की ओर से लिए गए निर्णय का विरोध करते हुए आक्रोश जताया।

संघ के अध्यक्ष बीर सिंह बिरुली ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा, “हेमंत सरकार सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए यह दावा करती है कि ईचा डैम को रद्द करने से 97,256 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई सुविधाओं का निर्माण प्रभावित होगा, जो कि बिल्कुल गलत है। ईचा डैम को फिर से शुरू करने की तैयारी केवल रूंगटा स्टील प्लांट को पानी देने के लिए की जा रही है, जो गांवों और ग्रामीणों के हित में नहीं है।

उन्होंने  कहा कि ईचा डैम के पुनर्निर्माण का प्रस्ताव ग्रामीणों के लिए लाभकारी नहीं है, यह परियोजना आदिवासी समुदाय को नुकसान पहुंचाने वाली है। बिरुली ने यह भी याद दिलाया कि 2014 में तत्कालीन कल्याण मंत्री चंपाई सोरेन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था। उस समिति ने डैम को रद्द करने और विस्थापितों को उनकी जमीन वापस करने की अनुशंसा की थी। लेकिन अब दोबारा 18 गांवों को डूब क्षेत्र में डाले जाने की बात कही जा रही है, जो आदिवासी समाज को विभाजित करने की साजिश लगती है।

दरअसल, ईचा डैम विरोधी संघ कोल्हान में लगातार विस्थापितों को एकजुट कर इस परियोजना के खिलाफ संघर्ष कर रहा है। लिहाजा, बिरुली ने इस संघर्ष को और तेज करने की बात कही और ग्रामीणों से अपील की कि वे एकजुट होकर इस परियोजना का विरोध करें। ईचा डैम विरोधी संघ ने यह भी स्पष्ट किया है कि जबतक उनके अधिकारों और हितों की रक्षा नहीं की जाती, तबतक वे संघर्ष जारी रखेंगे और डैम को रद्द करने की मांग करेंगे।

बैठक में सोसों ग्राम के मुंडा सुरेश सुरीन, रेयांश समड, कृष्ण बानरा, संतोष महतो, बसंत कुमार महतो, गुलिया कालुंडिया, बिरसा गोडसोरा, रॉबिन अल्डा, श्याम कुदादा, पांडु महतो, आह्लाद महतो, गुरु चरण महतो, रविंद्र महतो, रूपेश महतो सहित अन्य ग्रामीणों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और इस मुद्दे पर अपनी नाराजगी जाहिर की।