शब्दाक्षर औरंगाबाद का काव्य-अनुष्ठान सम्पन्न

औरंगाबाद, 07 नवम्बर। राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था ‘शब्दाक्षर’ की औरंगाबाद, बिहार जिला इकाई के तत्वावधान में शहर के बिराटपुर स्थित ज्ञान कुंज विद्यालय के सभागार में काव्य-संध्या का आयोजन किया गया।

गोष्ठी की अध्यक्षता उक्त संस्था के बिहार संगठन मंत्री विनय मामूली बुद्धि तथा संचालन जिला संगठन सचिव अनिल अनल ने किया। गोष्ठी की शुरुआत मंत्रध्वनि के साथ दीप प्रज्वलित कर की गई। राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि प्रताप सिंह, प्रवक्ता डॉ.रश्मि प्रियदर्शिनी एवं बिहार प्रदेश अध्यक्ष प्रो मनोज मिश्र ‘पद्मनाभ’ ने दूरभाष द्वारा संस्था के उज्जवल भविष्य की मंगल कामना की।

‘शब्दाक्षर’ के कुटुंबा प्रखंड अध्यक्ष कुमार सानू मौर्य ने सरस्वती वंदना के साथ कवि-गोष्ठी की विधिवत् शुरुआत की। कविता पाठ के दौरान उन्होंने कहा- ‘मत हंसा कर अश्कों पर कभी किसी के, आंसू हमेशा दर्द के सबूत ना होते।’ संचालन के दौरान अनिल अनल द्वारा पढ़ी गईं इन पंक्तियों पर खूब तालियां बरसीं -“वारि वायु की बातें करे क्या कोई, जब प्रदूषित यहां आदमी हो गया। है सिसकती खड़ी आदमीयत कहीं, आदमी में यहां आदमी खो गया।।”

उपाध्यक्ष जनार्दन मिश्र जलज ने आने वाली दीपावली पर्व पर लोगों को नसीहत देते हुए कहा- “ज्ञान ज्योति का पर्व है, हृदय करो उजियार। मन का दीपक जब जले, जगमग जग संसार।।” कवि की इस प्रस्तुति पर तालियों की गड़गड़ाहट से परिसर गुंजायमान हो गया। नागेंद्र कुमार केसरी की प्रस्तुति- “एक नन्हा बच्चा सोया था, मीठे सपनों में खोया था” पर दर्शन-श्रोता भाव-विह्वल होकर आंसू पौंछते नज़र आए।

नवोदित शायर हिमांशु चक्रपाणि ने एक गजल प्रस्तुत करते हुए कहा -“जब किसी रोज मेरे दिल की गली तू आई, तो लगा जैसे किसी बाग से खुशबू आई।” कवि अनुज बेचैन ने-‘प्रेमचंद तुम्हारी याद आती है आज भी’ नामक कविता के माध्यम से प्रेमचंद की अधिकतर रचनाओं से संबंधित घटनाओं का विहंगावलोकन ही करा दिया।

जिलाध्यक्ष धनंजय जयपुरी की श्रृंगार रस से ओत-प्रोत कवित्त -“द्वार खड़ी इक सुन्दर नार लगे जस मन्मथ की यह जाया, है कच रम्य कपोल सुरम्य कुचादि अनन्य व कंचन काया..” ने उपस्थित जन सामान्य के मन में प्रेम रस का संचार कर दिया। अध्यक्षीय उद्बोधन में मामूली बुद्धि ने उक्त संस्था के माध्यम से लोगों को साहित्यिक गतिविधियों से जुड़ने के लिए प्रेरित किया।

इस गोष्ठी में उपरोक्त लोगों के अलावा सुरेश विद्यार्थी, राहुल कुमार, अनिल कुमार सिंह, मनोज कुमार सिंह, मोहम्मद परवेज सहित लगभग दो दर्जन रचनाकार उपस्थित थे।