
122 साल बाद पितृपक्ष में दो ग्रहण के समाचार वैज्ञानिक तथ्यों पर ग्रहण लगाने वालेः सारिका घारू
भोपाल, 04 सितम्बर । हिन्दू पंचाग के अनुसार इस साल रविवार, 07 सितम्बर को पितृपक्ष के आरंभ की पूर्णिमा पर पूर्ण चंद्रग्रहण की खगोलीय घटना होने जा रही है, जिसे भारत में देखा जा सकेगा। इस पूर्ण चंद्रग्रहण के बाद 21 सितम्बर को पितृमोक्ष अमावस्या पर आंशिक सूर्यग्रहण की घटना होगी, लेकिन इसे भारत में नहीं देखा जा सकेगा। इस तरह वैश्विक स्तर पर इस साल पितृपक्ष के आरंभ और अंत दोनों तिथियों पर ग्रहण की घटना होगी। यह जानकारी नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने गुरुवार को एक कार्यक्रम के दौरान दी।
घारु ने बताया कि पितृपक्ष में दो ग्रहण पड़ने के संबंध में सोशल मीडिया में प्रसारित किया जा रहा है कि 122 सालों बाद पितृपक्ष की शुरुआत और अंत ग्रहण की घटनाएं से होने जा रही हैं। इसके लिये 122 साल पहले सन 1903 में हुए दो ग्रहणों का उदाहरण दिया जा रहा है कि तब ये ग्रहण पितृपक्ष के आंरभ और अंत मे थे, जबकि वास्तविकता यह है कि सन 1903 में 21 सितम्बर को पितृमोक्ष अमावस्या को तो पूर्ण सूर्यग्रहण था और इसके 15 दिन बाद 06 अक्टूबर 1903 को आंशिक चंद्रग्रहण हुआ था, लेकिन 06 अक्टूबर को तो शरद पूर्णिमा थी और पितृपक्ष समाप्त हुए 15 दिन बीत चुके थे। इस तरह 122 साल पहले हुई घटना के गलत तथ्य प्रस्तुत कर आज की स्थिति में वैज्ञानिक तथ्यों पर ग्रहण लगाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि पितृपक्ष का आंरभ और समापन पर ग्रहण की घटना कोई दुर्लभ नहीं है। इसके पहले भी इस प्रकार की घटना वर्ष 2006 में हुई थी, जबकि पितृपक्ष के आरंभ में 07 सितंबर 2006 भाद्रपद पूर्णिमा पर आंशिक चंद्रग्रहण था, जो कि भारत में दिखा भी था। इसके 15 दिन बाद पिृतमोक्ष अमावस्या 22 सितम्बर 2006 को वलयाकार सूर्यग्रहण था, जो कि भारत में नहीं दिखा।
उन्होंने बताया कि इसके पहले 1978 में भी यह हो चुका है। तब पितृपक्ष का आरंभ 16 सितम्बर 1978 को पूर्ण चंद्रग्रहण से होकर 02 अक्टूबर 1978 को आंशिक सूर्यग्रहण के साथ समापन हुआ था। इसके पहले भी अनेक बार यह संयोग आता रहा है। उन्होंने आग्रह किया कि तथ्यों की बिना पड़ताल करे किसी समाचार को मसालेदार बनाना वैज्ञानिक तथ्यों को ग्रहण लगाने के समान है। अपने पूर्वजों की स्मृति के इस पखवाड़े को पूर्ण श्रृद्धा और वैज्ञानिक जानकारी के साथ मनाएं।__________