आसनसोल, 09 जुलाई । आसनसोल नगर निगम एक गंभीर विवाद में घिर गया है। आरोप है कि अस्थायी कर्मचारियों के वेतन से भविष्य निधि (पीएफ) की राशि तो काटी जा रही है, लेकिन वह राशि उनके पीएफ खातों में जमा नहीं की जा रही। आरोप है कि यह अनियमितता पिछले करीब दो वर्षों से चल रही है।

नगर निगम में वर्तमान में 370 स्थायी और तीन हजार 658 अस्थायी कर्मचारी कार्यरत हैं। कर्मचारियों का कहना है कि उनके वेतन से 12 प्रतिशत की कटौती होती है। किसी का वेतन 10 हजार रुपये है तो किसी का 15 हजार, लेकिन कटौती के बाद भी पीएफ की राशि उनके खातों में नहीं दिख रही है। कई कर्मचारियों को वेतन पर्ची (पेस्लिप) भी नहीं दी जाती और मोबाइल पर भी सभी को संदेश नहीं मिलता। हालांकि, हर कर्मचारी का अलग पीएफ खाता नंबर है और जब उन्होंने ऑनलाइन जांच की, तो पता चला कि राशि जमा नहीं हो रही है।

कई कर्मचारियों ने इस संबंध में नगर निगम के अधिकारियों को सूचित किया, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला है। कर्मचारियों की मांग है कि मामले की जल्द जांच हो और उनकी जमा न की गई राशि को तुरंत खातों में ट्रांसफर किया जाए। हालांकि, अस्थायी कर्मचारी अपनी नौकरी जाने के डर से कैमरे के सामने बोलने से बच रहे हैं।

नगर निगम प्रशासन ने इस आरोप से पूरी तरह इनकार नहीं किया है, बल्कि सारा दोष ठेके पर काम करने वाली एजेंसियों पर डाल दिया है।

कांग्रेस के पश्चिम बर्धमान जिलाध्यक्ष, देवेश चक्रवर्ती ने तंज कसते हुए कहा कि आईएनटीटीयूसी के राज्य अध्यक्ष को अक्सर यह कहते सुना जाता है कि अगर फैक्ट्री मालिक कर्मचारी का पीएफ जमा नहीं करें तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। अब जब उन्हीं की पार्टी द्वारा नियंत्रित नगर निगम में पीएफ की राशि जमा नहीं हो रही, तो वह अब क्या कहेंगे?

भाजपा की राज्य सचिव और आसनसोल दक्षिण की विधायक अग्निमित्रा पॉल ने भी इस मुद्दे पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों से पीएफ की राशि जमा नहीं की जा रही। अगर भविष्य में पीएफ प्राधिकरण ब्याज और जुर्माना मांगेगा, तो वह पैसा आम नागरिकों के टैक्स से चुकाना पड़ेगा। उन्होंने इसे एक आपराधिक कृत्य करार दिया।

इस बीच, नगर निगम के डिप्टी मेयर वासिमुल हक ने कहा कि यह एजेंसियों की गलती हो सकती है, लेकिन हमें अब तक कोई स्पष्ट शिकायत नहीं मिली है।