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कोलकाता, 07 नवम्बर । पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया को लेकर एक और जनहित याचिका दायर की गई है। इस बार एक स्वेच्छासेवी संगठन ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए मांग की है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के तहत जिन लोगों ने नागरिकता के लिए आवेदन किया है, उनकी आवेदन रसीद को एसआईआर प्रक्रिया में वैध दस्तावेज के तौर पर स्वीकार किया जाए।

याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत को बताया कि सीएए के जरिए नागरिकता के लिए अनेक लोगों ने आवेदन किया है। यदि उनके आवेदन रसीदों को एसआईआर में स्वीकार नहीं किया गया, तो भविष्य में उन्हें नागरिकता से वंचित होना पड़ सकता है। यही वजह है कि इस जानकारी को आधिकारिक तौर पर मतदाता सूची संशोधन में शामिल किया जाना जरूरी है।

उन्होंने मामले पर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सुजॉय पाल की डिविजन बेंच का ध्यान आकर्षित किया है। मामला आगामी सोमवार को सुनवाई के लिए लिया जा सकता है।

गौरतलब है कि इसी डिविजन बेंच ने हाल ही में एसआईआर को लेकर दायर एक अन्य जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग से यह स्पष्ट करने को कहा था कि वर्ष 2002 की मतदाता सूची के आधार पर एसआईआर क्यों किया जा रहा है।

राज्य में एसआईआर को लेकर पहले से ही राजनीतिक और कानूनी विवाद जारी है। इसी बीच सीएए से जुड़ा यह नया मामला शामिल होने से पूरे मुद्दे पर और तीखी बहस की संभावना बढ़ गई है। बताया गया है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा देशभर में सीएए लागू किए जाने के बाद निर्धारित प्रक्रिया के तहत कई लोगों ने भारत की नागरिकता के लिए आवेदन किया है।