
कोलकाता, 10 जून । बांग्लादेश में वर्ष 2024 के छात्र आंदोलन में सक्रिय रहा एक व्यक्ति अब पश्चिम बंगाल के काकद्वीप विधानसभा क्षेत्र का पंजीकृत मतदाता निकला है। इस खुलासे के बाद भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) ने राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) को मामले की विस्तृत जांच के निर्देश दिए हैं।
मामला उस वक्त सामने आया जब कुछ व्हिसलब्लोअर्स ने सोशल मीडिया पर न्यूटन दास नामक एक व्यक्ति की तस्वीर साझा की, जिसमें वह बांग्लादेश में हुए छात्र आंदोलन में भाग लेता दिखाई दे रहा था। बताया गया कि न्यूटन दास दक्षिण 24 परगना जिले के काकद्वीप विधानसभा क्षेत्र में मतदाता के रूप में दर्ज है।
व्हिसलब्लोअर्स का यह भी दावा है कि दास के पास भारत और बांग्लादेश दोनों की नागरिकता है। हालांकि न्यूटन दास ने बांग्लादेशी नागरिक होने के आरोपों को खारिज किया है, लेकिन उन्होंने यह स्वीकार किया कि वह वर्ष 2024 में बांग्लादेश गए थे और वहां छात्र आंदोलन में भाग लिया था।
न्यूटन दास का कहना है कि वह वर्ष 2014 से काकद्वीप विधानसभा क्षेत्र के मतदाता हैं और उसी वर्ष लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने मतदान किया था। उन्होंने यह भी बताया कि वर्ष 2017 में उनका पुराना मतदाता पहचान पत्र (ईपीआईसी) खो गया था, जिसके बाद 2018 में उन्हें नया पहचान पत्र जारी किया गया। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि तृणमूल कांग्रेस के काकद्वीप विधायक मंटूराम पाखिरा की मदद से उन्हें नया ईपीआईसी कार्ड प्राप्त हुआ।
हालात तब और उलझ गए जब न्यूटन दास के एक चचेरे भाई, जो स्वयं भी काकद्वीप के मतदाता हैं, ने दावा किया कि न्यूटन के पास भारत और बांग्लादेश दोनों जगहों का मतदाता पहचान पत्र है।
मामले पर सियासी घमासान तेज हो गया है। भारतीय जनता पार्टी की पश्चिम बंगाल इकाई ने इस उदाहरण को तृणमूल कांग्रेस और राज्य प्रशासन पर लंबे समय से लगाए जा रहे आरोपों का प्रमाण बताया है। भाजपा का कहना है कि राज्य की मतदाता सूची में बांग्लादेशी नागरिकों को शामिल किया जा रहा है।
विवाद बढ़ने के बाद चुनाव आयोग ने इस पूरे मामले की जांच के लिए राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को निर्देश दिया है कि वह तथ्यों की पूरी पड़ताल करें और रिपोर्ट प्रस्तुत करें।