कोलकाता, 27 दिसंबर ।नियुक्ति घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हाल ही में पांचवीं पूरक चार्जशीट दाखिल की है, जिसमें पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के धन शोधन के नए तरीकों का खुलासा किया गया है। ईडी का आरोप है कि पार्थ ने फ्लैट खरीदने का दिखावा करते हुए लाखों रुपये अग्रिम के तौर पर दिए, लेकिन किसी भी फ्लैट का पूरा भुगतान नहीं किया।

ईडी की चार्जशीट में बताया गया है कि पार्थ ने इम्प्रोलाइन कंस्ट्रक्शन्स प्राइवेट लिमिटेड और एचआरआई वेल्थ क्रिएशन्स रियल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड जैसी कंपनियों का इस्तेमाल करते हुए फ्लैट बुकिंग में पैसा लगाया। कोलकाता और आसपास के इलाकों में कई फ्लैट बुक कराए गए थे। कहीं पांच लाख तो कहीं 14 लाख रुपये अग्रिम दिए गए, लेकिन बाकी रकम का भुगतान नहीं किया गया।

ईडी ने कहा कि फ्लैट बुकिंग में पार्थ ने अपने नाम का इस्तेमाल नहीं किया। इसके लिए राजीव दे नाम के व्यक्ति को सामने रखा गया। राजीव ने ईडी की पूछताछ में यह स्वीकार किया। इसके अलावा, सुरंजिता जाना नामक महिला को इन कंपनियों की डायरेक्टर बनाया गया था।

पार्थ के राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल

फ्लैट विक्रेताओं ने ईडी को बताया कि पार्थ के प्रभाव के कारण वे फ्लैट बुकिंग रद्द नहीं कर सके। रिवरबैंक डेवेलपर्स, इडेन रियल एस्टेट और अंबुजा नेओटिया जैसी कई बड़ी कंपनियों ने खुलासा किया कि पार्थ की कंपनियों ने फ्लैट बुक किए, लेकिन बकाया राशि नहीं चुकाई।

धन शोधन का उद्देश्य

ईडी के अनुसार, पार्थ ने जानबूझकर फ्लैट नहीं खरीदे ताकि कम धनराशि देकर कई संपत्तियां बुक की जा सकें और काले धन को सफेद किया जा सके।

यह मामला बंगाल की राजनीति में बड़े घोटालों में से एक के रूप में देखा जा रहा है। ईडी अब इस घोटाले में शामिल संपत्तियों को जब्त करने की प्रक्रिया में है।