
नई दिल्ली, 12 अगस्त । राज्यसभा ने मंगलवार को आयकर विधेयक, 2025 और कराधान विधि (संशोधन) विधेयक, 2025 को लोकसभा को लौटा दिया। इसके साथ ही राज्यसभा की कार्यवाही 18 अगस्त सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित हो गयी। लोकसभा से ये दोनों विधेयक पहले ही पारित हो चुका है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इससे पहले राज्यसभा में आयकर विधेयक, 2025 और कराधान विधि (संशोधन) विधेयक, 2025 दोनों विधेयकों को एक साथ विचार और वापसी के लिए पेश किया। सीतारमण ने विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि “जैसा जुलाई 2024 के केंदीय बजट में वादा किया था, करों से जुड़े नियमों और प्रावधानों को आसान बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हम लोगों पर कर का बोझ नहीं बढ़ाएंगे।
वित्त मंत्री ने सदन को बताया कि 2019 के बाद से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि कोविड हो या न हो, हम लोगों पर कर का बोझ नहीं बढ़ाएंगे। एक पैसा भी नहीं बढ़ाया गया है। उन्होंने कहा कि एक लाख रुपये हर महीने कमाने वालों को आय कर नहीं देना होगा, हमने ऐसे टैक्स का ढांचा तैयार किया है, राहत दी गयी है, दरों में कटौती की गयी है।
राज्यसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जवाब देते हुए कहा कि 1961 के आयकर अधिनियम में कुल 819 धाराएं थीं, जो घटकर 536 रह गईं हैं। इसी तरह अध्यायों की संख्या भी 47 थी, जिसे घटाकर 23 कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि इस अधिनियम में पहली बार हमने पाठ्य विवरण के स्थान पर 39 नई तालिकाएं और 40 नए सूत्र शामिल किए हैं, जिससे लोगों के लिए इसे समझना आसान हो गया है। 1961 के अधिनियम की जगह करदाता-अनुकूल अधिनियम इस देश की वित्तीय प्रणाली के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा।
सीतारमण ने आयकर विधेयक, 2025 और कराधान विधि (संशोधन) विधेयक, 2025 पर चर्चा का उत्तर देते हुए कहा, मुझे आश्चर्य है कि विपक्ष इसमें भाग नहीं लेना चाहता है। अक्सर विपक्ष कहता है, आप कोई चर्चा नहीं करना चाहते, हम तो ‘चर्चा’ करना चाहते हैं। विपक्ष ने कार्य मंत्रणा समिति में लोकसभा और राज्यसभा में 16-16 घंटे की बहस पर सहमति जताई थी। हम लोकसभा में 16 घंटे और यहां भी 16 घंटे चर्चा के लिए सहमत हुए थे…आज वे कहां हैं?
उल्लेखनीय है कि सरकार ने आयकर विधेयक, 2025 आयकर से संबंधित कानूनों को समेकित और संशोधित करने के उद्देश्य से लाया है। यह विधेयक आयकर अधिनियम, 1961 का स्थान लेगा। राज्यसभा द्वारा पारित होने बाद इसको राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त के लिए भेजा जाएगा, जिसके बाद ये कानून बन जाएगा।