लाहौर, 16 अप्रैल। पाकिस्तान की जेल में कई झूठे आरोपों में सजा पाए भारतीय मूल के सरबजीत सिंह की जेल में हत्या करने का आरोपित आमिर सरफराज तांबा अभी जिंदा है, यह दावा पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की पुलिस ने किया है। ज्ञात रहे कि सरबजीत सिंह की 2013 में पाकिस्तान के जेल में हत्या करने का आरोपित तांबा है, जिसकी एक दिन पहले अज्ञात बंदूकधारियों द्वारा हत्या करने की सूचना सामने आई थी।
हालांकि इस नाटकीय घटना क्रम के बीच पंजाब पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दावा किया कि वह अब भी जिंदा है। जबकि एक दिन पहले सामने आई सूचना में पता चला था कि लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के संस्थापक हाफिज सईद के करीबी सहयोगी तांबा पर यहां सनंत नगर स्थित उसके आवास पर मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने हमला किया। गंभीर हालत में उसे अस्पताल ले जाया गया था जहां उसने दम तोड़ दिया।
लाहौर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) ‘ऑपरेशंस’ सैयद अली रजा ने स्थानीय मीडिया को बताया कि तांबा अब भी जीवित है, लेकिन गंभीर रूप से घायल है।
हालांकि, सोमवार को एसएसपी के बयान के बारे में लाहौर पुलिस के प्रवक्ता फरहान शाह से बात की तो उन्होंने इस मामले को ‘संवेदनशील’ बताते हुए टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
दिलचस्प बात यह है कि एसएसपी रजा ने यह नहीं बताया कि अगर तांबा जीवित है तो उसे ‘चिकित्सा उपचार’ के लिए कहां स्थानांतरित किया गया है। इस बीच, पाकिस्तान के आंतरिक मंत्री मोहसिन नकवी ने सोमवार को तांबा की हत्या में भारत का हाथ होने से इनकार नहीं किया है।
मंत्री होने के साथ पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के अध्यक्ष नकवी ने सोमवार को पत्रकारों से कहा, “अतीत में यहां कुछ हत्या की घटनाओं में भारत सीधे तौर पर शामिल था। पुलिस इस मामले की जांच कर रही है और इस स्तर पर इस (तांबा) मामले में भारत की संलिप्तता के बारे में कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन उन्हें भारत की संलिप्तता का संदेह है। यहां पैटर्न के लिहाज से एक समारूपता है।
पुराना लाहौर के घनी आबादी वाले इलाके सनंत नगर में रविवार दोपहर को दो बंदूकधारियों ने तांबा की उसके आवास पर गोली मारकर हत्या कर दी। तांबा के खून से लथपथ शव की तस्वीर भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गई।
पुलिस ने तांबा के छोटे भाई जुनैद सरफराज की शिकायत पर दो अज्ञात हमलावरों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। तांबा और उसके साथी मुदस्सर, मौत की सजा पाए दो पाकिस्तानी कैदियों, ने 2013 में लाहौर की कोट लखपत जेल में 49 वर्षीय सिंह पर हमला किया था, जिससे उनकी मौत हो गई थी। वर्ष 2018 में एक पाकिस्तानी अदालत ने सिंह की हत्या के मामले में दोनों को उनके खिलाफ ‘सबूतों की कमी’ का हवाला देते हुए बरी कर दिया था।