वाशिंगटन, 08 जुलाई । पराई धरती से आतंकी हमलों की पीड़ा अब पाकिस्तान को समझ में आई है। पाकिस्तान ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान का नाम लेकर अपना दुखड़ा रोया। संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि और राजदूत असीम इफ्तिखार अहमद ने महासभा में कहा कि तीन आतंकी समूह अफगानिस्तान के अंदर अनियंत्रित स्थानों से काम कर रहे हैं।

डॉन अखबार के अनुसार, अहमद ने कहा कि पाकिस्तान के पास प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी), बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) और मजीद ब्रिगेड जैसे आतंकवादी समूहों के बीच बढ़ते सहयोग के विश्वसनीय सबूत हैं। इनका उद्देश्य देश के रणनीतिक बुनियादी ढांचे और विकास परियोजनाओं को निशाना बनाना है।

राजदूत अहमद ने कहा कि इनमें से कई हमले अत्याधुनिक हथियारों और उपकरणों से किए गए हैं, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय सेनाएं 2021 में अफगानिस्तान से अपनी वापसी के बाद छोड़ गई थीं। उन्होंने कहा कि इन हथियारों का इस्तेमाल अफगानिस्तान स्थित आतंकवादियों ने पाकिस्तान के खिलाफ तेजी से परिष्कृत हमले करने के लिए किया है।

पाकिस्तान के दूत ने कहा कि टीटीपी में लगभग 6,000 लड़ाके हैं। अफगानिस्तान की धरती से संचालित होने वाला यह सबसे बड़ा आतंकवादी समूह है। यह समूह न केवल पाकिस्तान के लिए बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता के लिए भी खतरा है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में सक्रिय अन्य समूहों में आईएस-खोरासन, अल कायदा और विभिन्न बलूच अलगाववादी गुट शामिल हैं। उन्होंने कहा कि अब हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि अफगानिस्तान उन आतंकवादियों के लिए प्रजनन स्थल न बने जो उसके पड़ोसियों और व्यापक अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए खतरा हैं।