
कोलकाता, 19 मई । राज्य शिक्षा विभाग मुख्यालय ‘विकास भवन’ के बाहर चल रहे शिक्षकों के धरने को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा कि वह प्रदर्शन के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इसमें बाहरी लोगों की भागीदारी ज़्यादा है। उन्होंने कहा, “शिक्षकों की संख्या कम है, जबकि बाहरी लोगों की संख्या ज़्यादा है। मैं किसी को रोकती नहीं, लेकिन मुझे भी रोकने का हक किसी को नहीं है।”
मुख्यमंत्री ने प्रदर्शन के दौरान गेट तोड़ने और लोगों को जबरन भवन में रोकने की घटना की निंदा की। उन्होंने कहा कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और राज्य सरकार पुनर्विचार याचिका दायर कर चुकी है। उन्होंने शिक्षकों से सरकार पर भरोसा रखने की अपील की।
ममता ने बताया कि एक गर्भवती महिला और एक छात्रा को 20 घंटे तक अंदर फंसा रहने की शिकायत मिली है। छात्रा ने बाहर निकलने की कोशिश में छलांग लगा दी और घायल हो गई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी का वेतन नहीं रोका गया है और जो लोग अदालत गए, उन्होंने ही यह स्थिति पैदा की। तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने भी प्रदर्शन के दौरान हिंसा की आलोचना करते हुए कहा कि प्रदर्शन का अधिकार सभी को है, लेकिन हिंसा से उसकी भावना खत्म हो जाती है।
उल्लेखनीय है कि शिक्षकों की मांग है कि 2016 के स्कूल सेवा आयोग परीक्षा पास करने के बाद उनकी बहाली को फिर से भर्ती परीक्षा से न जोड़ा जाए। सुप्रीम कोर्ट ने हाल में 25 हजार 753 शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्ति को रद्द कर दिया था।