
नई दिल्ली, 28 जुलाई। संसद के मानूसन सत्र के 6वें दिन कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के सांसदों ने बिहार में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के खिलाफ प्रदर्शन किया। इस दौरान सासदों के हाथों में पोस्टर था, जिसपर ‘स्टॉप एसआईआर’ और ‘एसआईआर लोकतंत्र के लिए खतरा’ जैसे नारे लिखे थे। इसके अलावा सांसदों ने इसे वापस लेने के लिए नारेबाजी भी की।
इस प्रदर्शन में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगेे, कांग्रे संसदीय दल की अध्यक्ष सांसद सोनिया गांधी, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, कांग्रेस महासचिव एवं सांसद प्रियंका गांधी, लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई, चरणजीत सिंह चन्नी, सपा के रामगोपाल यादव, अयोध्या केे सांसद अवधेश प्रसाद सिंह, प्रमोद तिवारी, रंजीत रंजन के अलावा तमाम नेताओं ने भाग लिया।
चुनाव आयोग ने हाल ही में एसआईआर के पहले चरण (24 जून – 25 जुलाई) के निष्कर्षों को जारी किया। इस रिपोर्ट के अनुसार, पूरे प्रदेश में 7.24 करोड़ (91.81 फीसदी) मतदाताओं ने अपना डेटा प्रस्तुत किया, जबकि 22 लाख (2.83 फीसदी) मतदाताओं की मृत्यु हो चुकी है। इसके अलावा 36 लाख (4.59 फीसदी) मतदाता स्थायी रूप से स्थानांतरित हो गए या उनकी मौजूदगी सत्यापित नहीं हुई और 7 लाख (0.89 फीसदी) मतदाताओं का नाम एक से अधिक जगह पंजीकृत पाया गया। बीएलओ को इनमें से कई मतदाताओं का पता नहीं चला, जिसका कारण स्थानांतरण, गैर-मौजूदगी, या फॉर्म जमा न करना हो सकता है। आयोग के मुताबिक इन डेटा की सत्यता 1 अगस्त से 1 सितंबर 2025 के दावे और आपत्ति अवधि में ईआरओ या एईआरओ द्वारा जांच के बाद स्पष्ट होगी और दोहरे पंजीकरण वाले मतदाताओं का नाम केवल एक जगह बरकरार रखा जाएगा।