
कोलकाता, 23 जुलाई। पश्चिम बंगाल के कई प्रवासी श्रमिकों को ओडिशा में कथित रूप से हिरासत में लिए जाने का मामला कलकत्ता हाई कोर्ट पहुंच गया है। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की एक याचिका पर बुधवार को सुनवाई करते हुए ओडिशा सरकार को चार सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 29 अगस्त को होगी।
मुख्य न्यायाधीश तपोब्रत चक्रवर्ती और न्यायमूर्ति ऋतब्रत कुमार मित्र की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान ओडिशा के महाधिवक्ता ने कहा कि किसी को भी औपचारिक रूप से गिरफ्तार नहीं किया गया है। श्रमिकों को विदेशी नागरिक होने के संदेह में ‘फॉरेनर्स एक्ट’ के तहत अस्थायी रूप से हिरासत में लिया गया था, ताकि उनकी पहचान की जा सके। वहीं, पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कल्याण बनर्जी ने सवाल उठाते हुए कहा कि अचानक किसी को विदेशी क्यों समझा गया? करीब 400 बंगाली लोगों को वहां हिरासत में रखा गया है। उन्हें मारा-पीटा भी गया है। राज्य सरकार इस मामले में उपयुक्त कार्रवाई करेगी। इन आरोपों को ओडिशा सरकार ने झूठा और मनगढ़ंत बताया है। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाई कोर्ट ने ओडिशा सरकार को पहले हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हुए कहा कि जरूरत हो तो राज्य सरकार भी अपना पक्ष जवाबी हलफनामे के जरिए रख सकती है।
याचिका में कहा गया है कि ओडिशा में बंगाल के कई प्रवासी मजदूरों को बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के हिरासत में रखा गया। इनमें अधिकांश लोग मालदा, मुर्शिदाबाद और बीरभूम जिलों के रहने वाले हैं। जब परिवार वालों को इन श्रमिकों से संपर्क नहीं हो पाया तो मामला तूल पकड़ने लगा। इसी बीच मुर्शिदाबाद के हरिहरपाड़ा थाना क्षेत्र के रहने वाले साइनूर इस्लाम को रिहा किया गया है। रघुनाथ नामक एक बंगाली श्रमिक ने आज कोर्ट को बताया कि 29 जून को ओडिशा पुलिस ने उन्हें और अन्य बंगाली मजदूरों को हिरासत में लिया और अगले दिन गिरफ्तार दिखा दिया गया।
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