कोलकाता, 5 जून  ।

स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) भर्ती घोटाले के चलते सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्ति रद्द किए गए समूह ‘सी’ और ‘डी’ के सैकड़ों गैर-शिक्षण कर्मियों ने गुरुवार को अपनी बहाली की मांग को लेकर सॉल्ट लेक स्थित विकास भवन का रुख किया। यह वही स्थान है जहां राज्य शिक्षा विभाग का मुख्यालय है।

करुणामयी मोड़ से विकास भवन तक मार्च करते हुए प्रदर्शनकारियों ने हाथों में तख्तियां लिए जोरदार नारेबाज़ी की। उनका कहना था कि वे एसएससी की परीक्षा पास कर चुके हैं, सभी आवश्यक दस्तावेज उनके पास मौजूद हैं, फिर भी उन्हें अयोग्य ठहराकर नौकरी से हटा दिया गया।

प्रदर्शनकारियों ने यह भी आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा घोषित अस्थायी मासिक भत्ता उन्हें अब तक नहीं मिला है। उन्होंने सरकार से यह भी मांग की कि योग्य और अयोग्य नियुक्तियों के बीच स्पष्ट अंतर किया जाए, ताकि निर्दोषों को भ्रष्टाचारियों के साथ न जोड़ा जाए।

एक प्रदर्शनकारी ने सवाल उठाया, “हमने नियमों के तहत परीक्षा पास की है, फिर भी हमें नौकरी से निकाल दिया गया। जबकि असली घोटालेबाज अब भी खुलेआम घूम रहे हैं। क्या यह न्याय है?” वहीं एक अन्य ने कहा, “हम पारदर्शिता और निष्पक्षता चाहते हैं। हमें भ्रष्टाचारियों के साथ क्यों जोड़ा जा रहा है?”

रैली के मद्देनज़र विकास भवन के आसपास भारी पुलिस बल की तैनाती की गई थी, ताकि कोई अप्रिय घटना न हो।

प्रदर्शनकारी समूह ने घोषणा की कि वे जल्द ही शिक्षा विभाग को अपने मांगों से संबंधित ज्ञापन सौंपेंगे। उन्होंने कहा कि उनके पास अब कोई विकल्प नहीं बचा है, और कई परिवार भूखमरी की कगार पर पहुंच चुके हैं।

गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय ने तीन अप्रैल को एसएससी 2016 भर्ती प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं के चलते कुल 25 हजार 753 शिक्षण और गैर-शिक्षण नियुक्तियों को अवैध घोषित कर दिया था। इस फैसले के बाद सैकड़ों लोग अपनी नौकरी गंवा चुके हैं और लगातार पुनर्नियुक्ति की मांग कर रहे हैं।