पूर्वी सिंहभूम, 24 जून ।  अंगीभूत महाविद्यालयों में इंटरमीडिएट की पढ़ाई बंद करने और 11वीं कक्षा में नामांकन पर रोक लगाए जाने के खिलाफ छात्रों का आक्रोश अब सड़कों पर नजर आने लगा है। इसी क्रम में मंगलवार को इंटरमीडिएट बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले महिला कॉलेज जमशेदपुर की छात्राओं ने जिला उपायुक्त कार्यालय के समक्ष जोरदार प्रदर्शन किया। छात्राओं ने कॉलेज परिसर से रैली निकालकर विभिन्न मार्गों से होते हुए जिला मुख्यालय तक मार्च किया और शिक्षा व्यवस्था में किए जा रहे इस बदलाव का पुरजोर विरोध किया।

प्रदर्शन कर रही छात्राओं की प्रमुख मांग है कि नई शिक्षा नीति के नाम पर इंटरमीडिएट (11वीं–12वीं) की पढ़ाई को अंगीभूत कॉलेजों से हटाने की योजना को तुरंत रद्द किया जाए। छात्राओं ने कहा कि यह फैसला न केवल उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ है, बल्कि गरीब व ग्रामीण पृष्ठभूमि के हजारों छात्रों के लिए उच्च शिक्षा के द्वार बंद कर देने जैसा है।

छात्राओं ने जिला प्रशासन से मांग की कि राज्य सरकार पर दबाव बनाकर कॉलेजों में पूर्ववत 12वीं की पढ़ाई बहाल कराई जाए। छात्राओं का कहना था कि नई शिक्षा नीति की आड़ में सरकार शिक्षा का निजीकरण कर रही है, जिससे सामान्य वर्ग के छात्रों को नुकसान होगा। कई छात्राओं ने कहा कि अगर कॉलेज स्तर पर इंटरमीडिएट की पढ़ाई बंद कर दी गई तो उन्हें उच्चतर माध्यमिक शिक्षा जारी रखना संभव नहीं होगा, क्योंकि स्कूलों की संख्या सीमित है और संसाधनों की भारी कमी है। 

प्रदर्शन के दौरान छात्राएं हाथों में तख्तियां और बैनर लेकर “नई शिक्षा नीति वापस लो”, “कॉलेजों में 12वीं बहाल करो”, “छात्र विरोधी फैसला बंद करो” जैसे नारे लगा रही थीं। कुछ छात्राएं भावुक होकर यह भी कहती नजर आईं कि वे पिछले एक वर्ष से कॉलेज में अध्ययन कर रही थीं और अब अचानक इस फैसले ने उनके सपनों को तोड़ दिया है।

छात्राओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने जिला उपायुक्त से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा और तत्काल इस मुद्दे को राज्य सरकार के समक्ष रखने की मांग की। जिला प्रशासन ने ज्ञापन प्राप्त कर आश्वासन दिया है और मामले को राज्य शिक्षा विभाग तक पहुंचाने की बात कही है।

उल्लेखनीय है कि झारखंड सरकार ने नई शिक्षा नीति के तहत अंगीभूत कॉलेजों से इंटरमीडिएट की पढ़ाई हटाकर उसे स्कूलों तक सीमित करने का निर्णय लिया है। इस फैसले का राज्यभर में विरोध हो रहा है, खासकर वैसे जिलों में जहां स्कूलों की पर्याप्त संख्या नहीं है और कॉलेज ही छात्रों के लिए सुलभ माध्यम हैं।

इंटरमीडिएट बचाओ संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे चरणबद्ध आंदोलन करेंगे और आगे राज्यव्यापी प्रदर्शन की रणनीति अपनाएंगे।