स्टॉकहोम 06 अक्टूबर। ईरान की पत्रकार, प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता एवं एक मानवाधिकार संगठन की उपाध्यक्ष नरगिस मोहम्मदी को इस वर्ष का नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया है।

नोबेल समिति ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। समिति ने लिखा,“ नोबेल समिति ने ईरान में महिलाओं के उत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई और सभी के लिए मानवाधिकारों और स्वतंत्रता को बढ़ावा देने की उनकी लड़ाई के लिए नरगिस मोहम्मदी को 2023 का नोबेल शांति पुरस्कार देने का फैसला किया है।”

नोबेल समिति के प्रमुख ने देश में महिलाओं के उत्पीड़न के खिलाफ 51 वर्षीय सुश्री मोहम्मदी की लड़ाई की सराहना करते हुए कहा कि वह एक ‘स्वतंत्रता सेनानी’ हैं। वह वर्तमान में तेहरान की कुख्यात एविन जेल में लंबी सजा काट रही है – समिति ने कहा कि उसे उम्मीद है कि ईरान जल्द ही उसे रिहा कर देगा

यह पुरस्कार ईरान में महिलाओं के नेतृत्व में एक साल से अधिक समय तक चले विरोध प्रदर्शन के बाद दिया गया है। सुश्री मोहम्मदी के परिवार ने कहा कि यह पुरस्कार ‘ईरान की आज़ादी की लड़ाई के लिए ऐतिहासिक और भावविभोर करने वाला ’ है।

नोबेल कमिटी ने कहा कि सुश्री नरगिस को इसके लिए निजी कीमत चुकानी पड़ी। उन्‍हें अब तक 13 बार गिरफ्तार किया जा चुका है। यही नहीं पांच बार दोषी ठहराया जा चुका है, उन्‍हें 154 कोड़े भी मारे गए हैं।

ईरान में सितंबर 2022 में एक युवा कुर्दिश महिला महसा जिना अमीनी की ईरान की पुलिस की हिरासत के दौरान मौत हो गई थी। उनकी मौत के बाद पूरे ईरान में  विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था। लोगों ने ईरान की सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया था। उन्‍होंने महिलाओं को स्‍वतंत्रता देने की मांग की। इस प्रदर्शन में लाखों की तादाद में ईरानी लोगों ने हिस्‍सा लिया था।

ईरानी सरकार ने प्रदर्शनकारियों पर जमकर अत्‍यचार किया और 500 से ज्‍यादा प्रदर्शनकारी मारे गए हैं। इसके अलावा हजारों की तादाद में लोग घायल हो गए हैं। क्रूरता का आलम यह रहा कि कई लोगों की आंखें रबर की बुलेट लगने से खराब हो गई। ईरानी पुलिस ने इन प्रदर्शनकारियों पर ये गोलियां चलाई थीं। यही नहीं प्रदर्शन को कुचलने के लिए अब तक 20 हजार से ज्‍यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इस पूरे प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने महिलाओं की आजादी का समर्थन किया और नरगिस मोहम्‍मदी के अभियान को अपना पूरा समर्थन दिया।

सुश्री मोहम्‍मदी पर ईरानी पुलिस ने ईरान सरकार के खिलाफ दुष्‍प्रचार करने का भी आरोप लगाया है। वह डिफेंडर ऑफ ह्यूमन राइट सेंटर की उप प्रमुख हैं। यह एक गैर सरकारी संगठन है जिसे शिरिन एबादी ने बनाया था। शिरिन को भी साल 2003 में नोबेल शांति पुरस्‍कार मिल चुका है। सुश्री मोहम्मदी लगातार महिलाओं के दमन और उनके साथ होने वाले संस्‍थागत भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाती रही हैं। साल 1990 के दशक में नरगिस फिजिक्‍स की स्‍टूडेंट थीं और इसी दौरान उन्‍होंने महिलाओं के अधिकारों का समर्थन किया था।

पिछले साल यह पुरस्कार रूसी मानवाधिकार समूह मेमोरियल, यूक्रेन के सेंटर फॉर सिविल लिबर्टीज और जेल में बंद बेलारूसी अधिकार अधिवक्ता एलेस बायलियात्स्की को दिया गया था।

यूक्रेन पर चल रहे रूसी आक्रमण की पृष्ठभूमि में उन्हें ‘शांति को बढ़ावा देने’ के लिए संयुक्त रूप से मान्यता दी गई थी

‘महिला – जीवन – स्वतंत्रता,’ – ईरान में पिछले साल के विद्रोह का नारा रहा है। ओस्लो में नोबेल समिति के प्रमुख बेरिट रीस-एंडरसन के पहले शब्द थे, जब उन्होंने घोषणा की कि शांति का नोबेल पुरस्कार सुश्री मोहम्मदी को दिया गया है।

उन्होंने इसे उन हजारों ईरानियों की मान्यता के रूप में वर्णित किया, जिन्होंने पिछले साल ‘महिलाओं को निशाना बनाने वाली भेदभाव और उत्पीड़न की धार्मिक शासन की नीतियों’ के खिलाफ प्रदर्शन किया था। उन्होंने कहा कि एक आंदोलन का नेतृत्व नए नोबेल पुरस्कार विजेता ने किया।

दुनिया भर के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के साथ-साथ लाखों ईरानी इस पुरस्कार की जय-जयकार करेंगे। साथ ही, यह ईरानी अधिकारियों को अस्वीकृति का एक बहुत मजबूत संकेत भी भेजता है।

क्या सुश्री क्या मोहम्मदी वास्तव में अपना पुरस्कार ले पाएगी? यह असंभव लगता है, क्योंकि वह वर्तमान में ईरान की राजधानी तेहरान की कुख्यात एविन जेल में 10 साल की जेल की सजा काट रही है।

सुश्री मोहम्मदी के परिवार ने कहा,“जेल में बंद ईरानी मानवाधिकार प्रचारक नरगिस मोहम्मदी को नोबेल शांति पुरस्कार दिया जाना ईरान की आजादी की लड़ाई के लिए एक ऐतिहासिक और गहरा क्षण है।” लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें खेद है कि जेल में बंद सुश्री मोहम्मदी इस ‘असाधारण क्षण’ को साझा नहीं कर सकीं।

जेल के भीतर बंद रहने के दौरान सुश्री मोहम्मदी के आधिकारिक इंस्टाग्राम पेज पर पोस्ट करते हुए सुश्री मोहम्मदी के परिवार ने कहा,“शांति पुरस्कार का सम्मान सभी ईरानियों का है। विशेष रूप से ईरान की साहसी महिलाओं और लड़कियों का, जिन्होंने स्वतंत्रता और समानता के लिए लड़ाई में अपनी बहादुरी से दुनिया को मंत्रमुग्ध कर दिया है।”

इस बीच संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि यह जीत धमकी, उत्पीड़न, हिंसा और हिरासत के सामने ईरानी महिलाओं के साहस के लिए एक श्रद्धांजलि है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की प्रवक्ता एलिजाबेथ थ्रोसेल ने कहा,“वे क्या करते हैं और क्या नहीं पहनते हैं, इसके लिए उन्हें परेशान किया गया है।”

उन्होंने कहा,“उनके खिलाफ लगातार कड़े कानूनी, सामाजिक और आर्थिक उपाय किए जा रहे हैं। यह वास्तव में कुछ ऐसा है जो ईरान की महिलाओं के साहस और दृढ़ संकल्प को उजागर करता है तथा कैसे वे दुनिया के लिए एक प्रेरणा हैं।”

पिछले साल नोबेल शांति पुरस्कार जीतने वाले यूक्रेन के सेंटर फॉर सिविल लिबर्टीज के प्रमुख ऑलेक्जेंड्रा मतविचुक ने सुश्री मोहम्मदी की जीत का स्वागत किया। उन्होंने एक्स पर कहा,“हम एक बहुत ही परस्पर जुड़ी दुनिया में रहते हैं। अभी, ईरान में लोग आजादी के लिए लड़ रहे हैं। हमारा भविष्य उनकी सफलता पर निर्भर करता है ।”

बेलारूस की निर्वासित विपक्षी नेता स्वेतलाना तिखानोव्स्काया ने सुश्री मोहम्मदी को उनके पुरस्कार के लिए बधाई देते हुए कहा,“कैद की गई मानवाधिकार कार्यकर्ता सभी के लिए एक प्रेरणा है, क्योंकि उन्होंने सलाखों के पीछे भी चुप रहने से इनकार कर दिया है। पिछले साल की पुरस्कार विजेता, बेलारूसी एलेस बियालियात्स्की की तरह, उन्हें भी आजाद करना ही चाहिए।””

इस बीच कुछ समय पहले पुरस्कार की घोषणा करते हुए नोबेल समिति ने कहा कि उसे उम्मीद है कि ईरान नर्गेस मोहम्मदी को जेल से रिहा कर देगा ताकि वह दिसंबर में पुरस्कार समारोह में भाग ले सकें।

गौरतलब है कि 1901 से अब तक 104 नोबेल शांति पुरस्कार दिए किये जा चुके हैं। इनमे से 70 शांति पुरस्कार केवल एक विजेता को प्रदान किए गए हैं। इतिहास में अब तक 19 महिलाओं को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। वहीं कुल 27 अलग-अलग संगठनों को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

नोबेल पुरस्कार के इतिहास में सबसे कम उम्र की नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई को मिला है। उन्हें साल 2014 में शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उस वक्त मलाला यूसुफजई मात्र 17 वर्ष थी। वहीं अब तक के सबसे उम्रदराज नोबेल शांति पुरस्कार विजेता जोसेफ रोटब्लाट हैं, जिन्हें साल 1995 में पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, तब वो 87 वर्ष के थे।

नोबेल पुरस्कार में 1.1 करोड़ स्वीडिश क्रोनर (लगभग 10 लाख अमेरिकी डॉलर) का नकद पुरस्कार दिया जाता है। दिसंबर में पुरस्कार समारोह में विजेताओं को 18 कैरेट का गोल्ड मेडल और डिप्लोमा भी प्रदान किया जाएगा।