
काठमांडू, 9 मार्च । लंबे समय के बाद नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह रविवार काे काठमांडू लौट रहे हैं। यहां ज्ञानेन्द्र शाह हवाई अड्डे
से अपने निवास तक हजारों समर्थकों के साथ एक राेड शाे कर अपनी जनशक्ति का प्रदर्शन करेंगे। उनके परिवार की अपील पर काठमांडू और आसपास के जिलों से बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंच चुके हैं।
नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह अपने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ रविवार काे दोपहर को तीन बजे पोखरा से काठमांडू पहुंचेंगे। राजतंत्र समर्थक राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी और उनके अन्य वफादार लाेग त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पूर्व राजा शाह का स्वागत करेंगे। इससे पहले
शाह पिछले कुछ दिनाें से देश के विभिन्न का दाैरा कर चुके हैं। 19 फरवरी को नेपाल के प्रजातंत्र दिवस के अवसर पर पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र ने एक वीडियो संदेश जारी कर लोगों से समर्थन करने की अपील की थी। देश में राजसंस्था के पुनर्स्थापना के लिए राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी शुरू से ही राजनीति करती आ रही है। पूर्व राजा के आह्वान पर राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी और नागरिक अभियान ने पूर्व राजा के स्वागत में अपने समर्थकों को विमानस्थल पहुंचने का आग्रह किया है। इस अपील के बाद शाह आज काठमांडू में अपने हजारों समर्थक के साथ एयरपाेर्ट से महाराजगंज स्थित ज्ञानेन्द्र के निवास तक जनशक्ति का प्रदर्शन करेंगे। काडमांडू के कार्यक्रम की पूर्व तैयारी को लेकर ही देशभर में बाइक रैली निकाली गई थी।
राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के अध्यक्ष राजेन्द्र लिंगदेन ने कहा कि आज सभी समर्थकों को तीन बजे एयरपोर्ट पहुंच कर राज ज्ञानेन्द्र शाह का स्वागत करने और उन्हें पूरे सम्मान के साथ उनके निजी निवास तक छोड़ने की योजना बनाई गई है। उन्होंने बताया कि करीब 25 हजार लोगों के पहुंचने की उम्मीद है और यह सभी अपने पूर्व राजा के साथ एयरपोर्ट से उनके घर तक जाएंगे। अध्यक्ष लिंगदेन ने कहा कि पार्टी का एजेंडा राजसंस्था की पुनर्स्थापना है और इसकी प्राप्ति तक संघर्ष जारी रखेंगे। लिंगदेन ने कहा कि नेपाली जनता देश में संवैधानिक राजतंत्र और बहुदलीय प्रजातंत्र के पक्ष में है। उनका दावा है कि नेपाल का गणतंत्र और धर्मनिरपेक्षता आयातित एजेंडा है, जो पश्चिमी शक्तियों ने नेपाल के मुख्य राजनीतिक दलों को प्रलोभन देकर यह लागू करवाया है। राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी का मानना है कि नेपाल की जनता ने कभी भी राजतंत्र के पूर्ण उन्मूलन के लिए आंदोलन नहीं किया था। इसलिए राजसंस्था का भी महत्वपूर्ण स्थान होना चाहिए।