नेपाल, 29 फरवरी। नेपाल पुलिस के केंद्रीय अनुसंधान ब्यूरो (सीआईबी) द्वारा दो बैंकों के सीईओ की गिरफ्तारी के विरोध में बैंकर्स संघ ने पेनडाउन की चेतावनी दी है। गलत तरीके से लोन दिए जाने के आरोप में बुधवार को दो अधिकारियों सहित 10 कर्मचारियों को गिरफ्तार किया था।

उल्लेखनीय है कि सीआईबी ने गलत तरीके से लोन देकर ठगी के आरोप में बुधवार को सेंचुरी बैंक के सीईओ तुलसी राम गौतम और प्रभु बैंक के सीईओ मनोज न्यौपाने सहित इन दोनों बैंकों के 10 कर्मचारियों को गिरफ्तार किया था। सीआईबी का दावा है कि एक सहकारी बैंक के संचालक को व्यक्तिगत फायदा पहुंचाने के लिए करीब दो अरब रुपये से अधिक लोन दिया गया था।

इन गिरफ्तारियों के खिलाफ गुरुवार को बैंकर्स संघ की आपात बैठक बुलाकर सीईओ की तत्काल रिहाई की मांग की गई। बैठक के बाद जारी प्रेस वक्तव्य में संघ की तरफ से कहा गया है कि यदि सरकार ने सीईओ को रिहा नहीं किया तो सभी निजी बैंक कर्मी पेनडाउन का फैसला ले सकते हैं। संगठन की तरफ से दावा किया गया है कि बैंक के सीईओ के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई से बैंकिग क्षेत्र को धक्का लगा है। बैंकर्स संघ का कहना है कि अदालत का फैसला आने से पहले सीईओ के दफ्तर में जाकर उन्हें हथकड़ी लगाने की कार्रवाई खेदजनक है।

देश के सबसे बड़े निजी बैंक ग्लोबल आईएमई के अध्यक्ष चंद्र ढकाल ने कहा कि यदि बैंक लोन लेने के बाद कोई परियोजना विफल हो जाती है तो इसमें बैंक के सीईओ की क्या गलती है? यदि इसी तरह बैंकर्स के खिलाफ कार्रवाई होती रही तो सभी बैंक मिल कर सभी प्रकार के लोन देने की प्रक्रिया को ही रोक देंगे। उसके बाद देश में जो आर्थिक संकट आएगा उसके लिए सरकार को खुद जिम्मेदारी लेनी होगी। उन्होंने कहा कि बैंक की तरफ से आय स्रोत और डिपॉजिट देने का प्रावधान है। बड़ी परियोजनाओं में बिना किसी डिपॉजिट के ही लोन पहले से ही दिया जाता रहा है। ऐसे में कोई व्यक्ति या संस्था लोन डिफाल्टर हो जाता है तो इसके लिए बैंक के सीईओ या बैंक कर्मी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।