
नई दिल्ली, 3 मार्च । राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) के तत्वावधान में आयोजित महिलाओं के लिए साइबर कानून पर दो दिवसीय परामर्श सम्मेलन का सोमवार को समापन हो गया। दिल्ली के विज्ञान भवन में रविवार से चल रहे इस सम्मेलन में साइबरस्पेस में महिलाओं के लिए कानूनी सुरक्षा उपायों को मजबूत करने के लिए एनसीडब्ल्यू की प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई। एनसीडब्ल्यू 205 सुझाव कानून मंत्रालय को भेजेगा।
इस मौके पर केंद्रीय विधि एवं न्याय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुनराम मेघवाल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता एनसीडब्ल्यू अध्यक्ष विजया रहाटकर ने की। सम्मेलन में कानूनी पेशेवरों, कानून प्रवर्तन अधिकारियों, साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं ने भाग लिया। इस पहल के हिस्से के रूप में देशभर में आठ क्षेत्रीय परामर्श सम्मेलन आयोजित किए गए, जिसमें 150 से अधिक विशेषज्ञ शामिल हुए और 300 से अधिक सिफारिशें आईं।
एनसीडब्ल्यू ने बताया कि कानूनी विशेषज्ञों द्वारा 300 सिफारिशों की सावधानीपूर्वक समीक्षा की गई और 205 प्रमुख सिफारिशों का चयन किया गया। सम्मेलन सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम-2000, भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम, पीओएसएच अधिनियम और महिलाओं के अश्लील प्रतिनिधित्व (निषेध) अधिनियम सहित कानूनी ढांचे को मजबूत करने पर केंद्रित था। साइबरस्पेस के बारे में कानूनी जागरुकता की तत्काल आवश्यकता को पहचानते हुए एनसीडब्ल्यू ने ‘साइबर सहेली’ नामक एक पुस्तिका भी लॉन्च की। इसका उद्देश्य महिलाओं को उनके अधिकारों, निवारण तंत्र और डिजिटल सुरक्षा उपायों के बारे में शिक्षित करना है। एनसीडब्ल्यू ने इन सिफारिशों को समेकित कर दिया है और अब उन्हें आवश्यक कानूनी सुधारों के लिए कानून और न्याय मंत्रालय को भेज दिया जाएगा।