गाजियाबाद, 30 सितंबर । एनसीआरटीसी ने आरआरटीएस कॉरिडोर के लिए पावर एक्सचेंज के माध्यम से ग्रीन एनर्जी सहित कम लागत वाली बिजली की खरीद के लिए पावर ट्रेडिंग कॉरपोरेशन (पीटीसी) इंडिया के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक शलभ गोयल और पीटीसी के सीएमडी मनोज झावर की उपस्थिति में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते के तहत, एनसीआरटीसी न केवल आरआरटीएस के लिए कम लागत वाली बिजली हासिल करेगा, बल्कि एनसीआरटीसी की सस्टेनबिलिटी को भी सुनिश्चित करेगा।

एनसीआरटीसी के प्रवक्ता पुनीत वत्स ने सोमवार को बताया कि पीटीसी पावर ट्रेडिंग समाधानों का एक अग्रणी प्रदाता है। इस करार से एनसीआरटीसी को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद, मोदीपुरम, शताब्दी नगर और मुरादनगर में स्थित अपने रिसीविंग सबस्टेशनों (आरएसएस) के साथ-साथ दिल्ली में सराय काले खां में पावर एक्सचेंजों के माध्यम से अपनी बिजली की आवश्यकता होगी। इस समझौते का लक्ष्य आरआरटीएस की समग्र बिजली लागत को कम करना है।

वर्तमान में दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर को चरणबद्ध तरीके से संचालित किया जा रहा है। एनसीआरटीसी अपनी उच्च गति वाली और अत्यधुनिक नमो भारत ट्रेनों के सुचारु संचालन को सुनिश्चित करने के लिए बिजली पर निर्भर है। बिजली की लागत को कम करना एनसीआरटीसी का मुख्य लक्ष्य है, क्योंकि ऊर्जा व्यय इसके परिचालन व्यय का लगभग 30-35 प्रतिशत है।

एनसीआरटीसी वर्तमान में डिस्कॉम से बिजली प्राप्त कर रहा है और बिजली एक्सचेंजों के माध्यम से ऊर्जा लागत को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं। बशर्ते कि समग्र टैरिफ डिस्कॉम के ऊर्जा शुल्क से कम हो। पीटीसी इंडिया, बिजली एक्सचेंज व्यवसाय में व्यापक अनुभव के साथ इस प्रयास में एनसीआरटीसी की सहायता करेगा, जिससे एक विश्वसनीय और निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करते हुए लागत को कम करने में मदद मिलेगी। पीटीसी ने पहले भी विभिन्न संगठनों को इसी तरह की ऊर्जा प्रबंधन सेवाएं प्रदान की हैं।

एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक शलभ गोयल ने कहा, “आरआरटीएस जैसी बड़ी लागत वाली परियोजना को दीर्घावधि में सस्टेनेबल होना चाहिए। हमें अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं के प्रबंधन में पीटीसी इंडिया के साथ साझेदारी करके खुशी हो रही है। एनसीआरटीसी अभिनव और सस्टेनेबल समाधान खोजने के लिए प्रतिबद्ध है। यह समझौता कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए हरित ऊर्जा सहित विश्वसनीय और लागत प्रभावी बिजली हासिल करने के हमारे प्रयासों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।”