
बीजापुर, 27 मई। नक्सल विरोधी अभियान में अब तक मिली सबसे बड़ी सफलता को अब नक्सलियाें ने भी पर्चा जारी कर स्वीकार कर लिया है। मंगलवार को मीडिया को जारी इस पर्चे में नक्सली कमांडर केशव राव उर्फ बसवा राजू की मौत की बात स्वीकारते हुए कहा गया है कि हम उनकी रक्षा करने में विफल रहे। दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के प्रवक्ता विकल्प द्वारा जारी 25 मई की तारीख से जारी इस पर्चे में यह भी साफ किया गया है कि 20-21 मई को हुई कार्रवाई में उनके 27 नहीं बल्कि 28 साथी मारे गए थे। एक का शव वो अपने साथ ले जाने में कामयाब रहे थे।
इस पत्र से यह भी साफ हुआ है कि अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों से 20-21 मई को हुई मुठभेड़ में 28 नक्सली मारे गये थे, जबकि सात जिंदा बचकर निकलने में कामयाब हो गए थे। सुरक्षा बलों ने 27 शव बरामद कर बड़ी सफलता का दावा किया था, जिस पर गृहमंत्री और प्रधानमंत्री ने भी ट्वीट कर उन्हें बधाई थी। अब दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के प्रवक्ता विकल्प के पर्चे से अबूझमाड़ मुठभेड़ को लेकर कई नए खुलासे हुए हैं। हांलाकि यह पर्चा बसवा राजू की मौत का बदला लेने और नक्सलियों को एकजुट करने के उद्देश्य से जारी किया है, पर पत्र से साफ है कि सुरक्षा बलों ने नक्सली आंदोलन की कमर तोड़ दी है।
सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ में 10 करोड़ रुपये के इनामी नक्सली नम्बाला केशव राव उर्फ बसवा राजू समेत 27 के शव बरामद कर किए थे। पत्र में कहा गया है कि उस समय 35 लोग कमांडर राजू के साथ थे। 28 मारे गए, हम नीलेश का शव अपने साथ ले जाने में कामयाब रहे थे। विकल्प ने साफ तौर पर लिखा है कि जनवरी तक नक्सली कमांडर की सुरक्षा दल में 60 लोग रहते थे, लेकिन विपरीत परिस्थितियों के कारण सुरक्षा को कम कर 35 लोगों को रखा गया था। इसकी वजह लगातार मुठभेड़ में मारे जा रहे नक्सली थे तो कुछ ने आत्मसमर्पण कर दिया था। नक्सली प्रवक्ता ने बताया कि 19 मई को गांव के पास पुलिस पार्टी के पहुंचने की सूचना मिलते ही बसवा राजू के साथ सभी लोग निकल रहे थे। 19 को सुबह से पांच बार मुठभेड़ हुई लेकिन कोई नुक़सान नहीं हुआ था। 20 मई की रात को हज़ारों जवानों ने हमें घेर लिया और 21 मई को ऑपरेशन में सभी मारे गए। नक्सली प्रवक्ता ने कहा है कि हम संगठन के प्रमुख नम्बाला केशव राव उर्फ बसवा राजू को सुरक्षा प्रदान करने में विफल रहे।
नक्सली प्रवक्ता ने अबूझमाड मुठभेड़ की जानकारी देते हुए बताया कि इस मुठभेड़ के दौरान बसवा राजू समेत उनके साथी 60 घंटे तक भूखे थे। उनके पास खाना नहीं था। पुलिस ने चारों तरफ से घेर लिया था। दूसरी तरफ अत्याधुनिक हथियारों से लैस हजारों सुरक्षाबलों को आपरेशन के दौरान खाने-पीने की व्यवस्था हेलिकाप्टरों से की जाती रही। पर्चे में कहा गया है, ‘हमारे बीआर दादा (नम्बाला केशव राव उर्फ बसवा राजू)को अपने बीच में सुरक्षित जगह में रखकर दल ने प्रतिरोध किया। पहले राउंड में डीआरजी के कोटलू राम को मार गिराया। इसके बाद कुछ समय तक किसी ने आगे आने की हिम्मत नहीं की। इसके बाद फिर फायरिंग चालू हुई। साथियों ने सक्रियता के साथ नेतृत्व करते हुए सभी ने आखिरी तक डटकर प्रतिरोध किया, कई जवानों को घायल किया। एक टीम आगे बढ़कर उनका घेराव को तोड़ने में सफल भी हुई लेकिन भारी गोलीबारी के कारण बाकी लोग उस रास्ते से नहीं निकल सके। सभी ने नेतृत्व को बचाने की अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाते हुए बीआर दादा को आखिरी तक खरोंच भी आने नहीं दी। नक्सली प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि सभी के मारे जाने के बाद बीआर दादा को जिंदा पकड़ कर मार दिया गया।