
कोलकाता 3 मार्च। “चंद्रशेखर आज़ाद भारतीय स्वतंत्रचेता आत्मा के उज्ज्वल प्रतीक हैं। सशस्त्र क्रांति के स्वप्न के अलावा उनके पास सुदृढ़ वैचारिक चिंतन भी था। भारतीय इतिहास को उद्देश्यपूर्ण तरीके से तोड़ा मरोड़ा गया है। यह वाम विचारों के अनुसार अनुकूलित इतिहास है। सही कहा जाय तो हमें बाएं हाथ से लिखा हुआ इतिहास पढ़ाया जा रहा है। इसमें भारतीयता के गौरव को न्यूनिकृत किया गया है।” उपरोक्त विचार हैं प्रखर वक्ता डॉक्टर ऋषिकेश राय ( उपाध्यक्ष, राष्ट्रीय कवि संगम, पश्चिम बंगाल) के जो कि चंद्रशेखर आजाद की पुण्यतिथि पर राष्ट्रीय कवि संगम द्वारा आयोजित कार्यक्रम में बतौर प्रधान वक्ता के रूप में बोल रहे थे।
प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. गिरिधर राय की अध्यक्षता में, विशिष्ट विद्वत विभूतियों एवं कवियों द्वारा सरस एवं ओजपूर्ण कविताओं का वाचन किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय कवि संगम के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. अशोक बत्रा, विशिष्ट अतिथि के रुप में डॉ. अमित कुमार दीक्षित (सेल) एवं प्रांतीय सह महामंत्री बलवंत सिंह गौतम उपस्थित थे ।
डॉ. अशोक बत्रा ने आजाद की वीरता और पराक्रम को इंगित किया तथा व्याकरण से संबंधित कविताएँ सुनाकर लोगों को अचंभित कर दिया। डा.अमित कुमार दीक्षित ने अपने संस्मरण साझा किया ।
कार्यक्रम का श्रीगणेश भारती मिश्रा ने सरस्वती वन्दना की। मंच संचालन रंजना झा तथा स्वागत भाषण दक्षिण हावड़ा की अध्यक्ष हिमाद्रि मिश्रा ने दिया ।
मां भारती के वीर सपूत आजाद को काव्यांजलि अर्पित करने वालों में प्रांतीय मंत्री देवेश मिश्र, रामझा मिलन, ममता सिंह (अहमदाबाद),मनोरमा झा, डॉ .राजन, स्वागता बसु, एवं आलोक चौधरी थे। प्रांतीय सह महामंत्री बलवंत सिंह गौतम ने चंद्रशेखर आजाद के जीवन में अनुशासन के महत्व को बताते हुए कहा कि संगठन में अनुशासन है तो कभी असफल नहीं होगा। अंत में अपने अध्यक्ष वक्तव्य में डॉ. गिरिधर राय ने कार्यकर्ताओं की तारीफ करते हुए डॉ. बत्रा, डॉ. ऋषिकेश राय एवं डॉक्टर दीक्षित को अपना अमूल्य समय दे कर कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाने के लिए आभार व्यक्त किया और हास्य व्यंग्य से परिपूर्ण कविता अशोक वाटिका सुनाकर लोगों को हंसने का मौका दिया। श्रोताओं के रूप में रामाकांत सिन्हा, मीतू कानोड़िया, प्रगति शंकर आदि अंत तक उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का समापन श्रीमती नीलम मिश्रा ने धन्यवाद ज्ञापन एवं कल्याण मंत्र से किया।