बिलासपुर, 05 जुलाई । भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने शनिवार काे बिलासपुर में कहा कि हिमाचल प्रदेश में 2592 किलोमीटर के 25 राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण प्रगति पर है। इन परियोजनाओं की कुल लागत 2592 करोड़ है। इनमें से 785 किलोमीटर की सड़कें नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया, 1238 किलोमीटर की सड़कें सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय और 569 किलोमीटर की सड़कें बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन द्वारा बनाई जा रही हैं।

नड्डा ने बताया कि इन परियोजनाओं में से अधिकांश कार्य वर्ष 2026 और 2027 तक पूरे हो जाएंगे जबकि कुछ परियोजनाएं 2028 तक पूरी होंगी। कीरतपुर-मनाली कॉरिडोर के लिए 7667 करोड़ आवंटित किए गए हैं, जिसमें 12 टनल बनाई जाएंगी जिनकी कुल लंबाई 11.51 किलोमीटर होगी। इसी कॉरिडोर की कुल परियोजना लागत 9452 करोड़ है जिसमें 28 सुरंगें बनेंगी जिनकी कुल लंबाई 41 किलोमीटर होगी।

इसके अलावा शिमला-मटौर मार्ग पर 10208 करोड़ खर्च किए जाएंगे, जिसमें 15 सुरंगों का निर्माण होगा जिनकी कुल लंबाई 13.41 किलोमीटर होगी। पठानकोट-मंडी मार्ग पर 1088 करोड़ खर्च किए जाएंगे और इसमें 13 सुरंगें बनेंगी जिनकी कुल लंबाई 10 किलोमीटर होगी। स्पष्ट किया कि यह लंबाई केवल सुरंगों की है, और इनका निर्माण राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए यातायात को सुगम और सुरक्षित बनाने के उद्देश्य से किया जा रहा है।

बताया कि वह हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री को दो महत्वपूर्ण विषयों पर पत्र लिखेंगे और चर्चा भी करेंगे। पहला विषय यह है कि एनएवएआई के अस्थायी कार्यों को उद्योग की श्रेणी से बाहर किया जाए ताकि क्रेशर, हॉट मिक्स प्लांट और तारकोल पिघलाने वाली मशीनों को हर साल राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने की आवश्यकता न पड़े। दूसरा विषय व्यास नदी क्षेत्र में ड्रेजिंग कार्य को लेकर है, जिस पर उन्होंने कहा कि यह पर्यावरण और सुरक्षा की दृष्टि से अत्यंत आवश्यक है और इस पर प्रदेश सरकार को शीघ्र निर्णय लेना चाहिए।

सुमदो-काजा सड़क को 2024 में स्वीकृति मिल चुकी है और इसका निर्माण बीआरओ कर रही है लेकिन राज्य सरकार अब तक इस परियोजना के लिए वन विभाग की मंजूरी नहीं दे सकी है, जिससे निर्माण कार्य में देरी हो रही है।

बिलासपुर जिले को लेकर बताया कि घुमारवीं-शाहतलाई सड़क के उन्नयन के लिए 35 करोड़ स्वीकृत किए गए हैं और यह कार्य सीआईएफ द्वारा करवाया जाएगा। वर्ष 2026 तक इस सड़क को पूरी तरह अपग्रेड कर दिया जाएगा।

राज्य की कानून व्यवस्था पर चिंता जताते हुए नड्डा ने कहा कि जिस सरकार में रक्षक ही भक्षक बन जाएं, उससे क्या आशा की जा सकती है। एनएचएआई और राज्य सरकार के एक मंत्री के बीच टकराव पर कहा कि हिमाचल जैसे शांत प्रदेश में इस प्रकार की घटनाएं अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और चिंता का विषय हैं। कहा कि एक झूठा माहौल बनाया जा रहा है कि केंद्र सरकार हिमाचल के साथ भेदभाव कर रही है, जबकि सच्चाई यह है कि प्रदेश सरकार केंद्र से मिले फंड को खर्च नहीं कर पा रही है। आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन के तहत हिमाचल को 360.11 करोड़ मिले, लेकिन राज्य सरकार अब तक केवल 78 करोड़ ही खर्च कर पाई है। इसी योजना के तहत प्रस्तावित 73 ब्लॉक लेवल पब्लिक हेल्थ यूनिट्स में से केवल 6 ही बन सकी हैं। 15वें वित्त आयोग से मिले 521 करोड़ में से भी मात्र 128.62 करोड़ खर्च किए गए हैं। इसके अलावा क्रिटिकल केयर यूनिट्स के तहत 8 अस्पतालों की योजना थी, जिनमें भी कार्य अधूरा है।