गांधीनगर, 29 जुलाई। तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने मंगलवार को कहा कि गांधीनगर में राष्ट्रीय रक्षा विवि की स्थापना देश भर में आतंकवादी संगठनों और विभाजनकारी ताकतों की चुनौतियों की पृष्ठभूमि में हुई।

तमिलनाडु के राज्यपाल रवि आज गुजरात के गांधीनगर में स्थित राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (आरआरयू) के नए शैक्षणिक वर्ष (2025-26) के उद्घाटन अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने इस भविष्यदर्शी विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व और विचार प्रक्रिया की सराहना की। उन्होंने कहा कि रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय एक राज्य विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित है। इस विश्वविद्यालय की स्थापना देश भर में विभिन्न आतंकवादी संगठनों और आंतरिक विभाजनकारी ताकतों द्वारा किए गए आतंकवादी हमलों की श्रृंखला के कारण नागरिकों, संस्थानों और धार्मिक स्थलों के समक्ष उत्पन्न सुरक्षा चुनौतियों की पृष्ठभूमि में हुई थी।

राज्यपाल रवि ने कहा कि वर्ष 2014 के बाद से शासन और कानून प्रवर्तन में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है, जिसमें समान सरकारी मशीनरी और तंत्र का उपयोग किया जा रहा है, जिससे किसी भी तरह के आतंक या आंतरिक विभाजनकारी विद्रोह के प्रति शून्य सहिष्णुता सुनिश्चित की जा रही है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि शत्रुबोध का ज्ञान होना ज़रूरी है यानी आपका दुश्मन कौन है, जो बहुत ज़रूरी है और राष्ट्रबोध के बारे में जागरूकता यानी राष्ट्रीय चेतना की भावना और व्यावहारिक समाधान।

उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य केवल शिक्षित और प्रशिक्षित करना नहीं है बल्कि देश की प्रमुख चिंताओं, मुद्दों और चुनौतियों को जमीनी स्तर पर समझना, उनकी पहचान करना और गहन शोध तथा तकनीक के उपयोग के माध्यम से सरकार, सुरक्षा और पुलिस बलों को व्यावहारिक समाधान प्रदान करना है। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के महत्व को रेखांकित किया, जो यह जानने पर ज़ोर देता है कि किसी हमले के लिए सामरिक प्रतिक्रिया कैसे और कब शुरू और रोकनी है। साथ ही अपनी सक्रियता को केवल लक्ष्य प्राप्त करने तक ही सीमित रखना है।

राज्यपाल ने युवाओं से सभी भाषाओं का सम्मान करने और भाषाई व सांस्कृतिक विविधता पर विभाजित न होने का आह्वान किया बल्कि इसे एक कुटुम्ब, एक वृक्ष के रूप में अपनाने का आह्वान किया, जिसकी विभिन्न शाखाएँ हैं और जिसका प्रत्येक पत्ता एक-दूसरे से बिल्कुल भिन्न है, फिर भी एक ही वृक्ष का हिस्सा है।

इसके अलावा उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि आरआरयू की भूमिका केवल छात्रों को शिक्षित करने या सशस्त्र सेवाओं और पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षित करने तक ही सीमित नहीं है। इसके बजाय इसे एक गुरु द्रोणाचार्य के रूप में कार्य करने की आवश्यकता है जो हमारे समाज और विभिन्न क्षेत्रों में सैन्य बलों के मुद्दों और चुनौतियों का पता लगाए और सरकार को व्यावहारिक समाधान प्रदान करे, जिसमें ऐसी घटनाओं या अराजकता के फैलने से पहले एहतियाती उपाय और उपाय शामिल हों, जब वह अपनी प्रारंभिक अवस्था में हो।

राज्यपाल ने राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय की परिकल्पना और स्थापना के लिए माननीय प्रधान मंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री के दूरदर्शी दृष्टिकोण और अपने अविश्वसनीय प्रदर्शन और उपलब्धियों के माध्यम से संस्थान के उल्लेखनीय विकास और दुनिया भर में उपस्थिति के लिए कुलपित प्रो. बिमल पटेल की सराहना की। आगे बढ़ते रहने और ऐसे समाधान प्रदान करते रहने के आदर्श वाक्य के साथ जिन पर किसी ने कभी विचार नहीं किया, उन्होंने नए शैक्षणिक बैच के सफल करियर की कामना की।

आरआरयू के कुलपति पटेल ने अपने संबोधन में विश्वविद्यालय की प्रमुख उपलब्धियों की एक झलक दी। साथ ही विश्वविद्यालय द्वारा संचालित विविध पाठ्यक्रमों, अपनाई गई कठोर प्रशिक्षण पद्धतियों, अत्याधुनिक शोध पहलों और आरआरयू द्वारा अपनाए गए नवीन शैक्षिक स्वरूपों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने इस अवसर पर प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री, वित्त मंत्री, सशस्त्र बलों के नेतृत्व, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों, केंद्रीय पुलिस संगठनों और राज्य पुलिस संगठनों के प्रति उनके सहयोग और विश्वास के लिए गहरा आभार व्यक्त किया, जिन्होंने आरआरयू को एक राष्ट्रीय और वैश्विक सुरक्षा ज्ञान सेतु बनाने में योगदान दिया।