
कोलकाता, 11 जून । पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के काकद्वीप विधानसभा क्षेत्र में एक ऐसे युवक का नाम मतदाता सूची में पाए जाने पर विवाद खड़ा हो गया है, जो पिछले वर्ष बांग्लादेश के छात्र आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल था। इस पूरे मामले में अब चुनाव आयोग ने राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) को जांच के आदेश दिए हैं।
इस मामले में आरोपित मतदाता न्यूटन दास के चचेरे भाई तपन दास की गवाही को जांच में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। तपन दास ने मीडिया से बात करते हुए दावा किया है कि न्यूटन के पास भारत और बांग्लादेश, दोनों देशों की मतदाता पहचान पत्र (ईपीआईसी) हैं।
तपन के अनुसार, न्यूटन ने पश्चिम बंगाल में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद लंबे समय तक बांग्लादेश में रहना शुरू किया और हाल ही में वह काकद्वीप लौटा है। तपन ने कहा कि हमें जितना पता है, वह बांग्लादेश का मतदाता है। मुझे नहीं पता उसने भारतीय ईपीआईसी कार्ड कैसे बनवा लिया। तपन खुद भी काकद्वीप के पंजीकृत मतदाता हैं।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी के दफ्तर के एक सूत्र ने बताया कि बुधवार को संबंधित बूथ स्तर अधिकारी (बीएलओ) तपन दास से मुलाकात कर न्यूटन से जुड़ी जानकारी एकत्र कर चुके हैं। उनसे यह पूछा गया है कि न्यूटन कब बांग्लादेश गया, वहां कितने समय तक रहा, और कब वापस लौटा। साथ ही यह भी जांचा जाएगा कि उसे भारतीय ईपीआईसी कार्ड किसने दिलवाया। इन्हीं बिंदुओं के आधार पर आगे की जांच की जाएगी।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब कुछ व्हिसल-ब्लोअर्स ने सोशल मीडिया पर यह जानकारी साझा की कि बांग्लादेश के छात्र आंदोलन में भाग ले रहे व्यक्ति की तस्वीर, काकद्वीप विधानसभा क्षेत्र के मतदाता न्यूटन दास से मेल खाती है। साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया कि न्यूटन के पास भारत और बांग्लादेश की दोहरी नागरिकता है।
हालांकि, न्यूटन दास ने बांग्लादेशी नागरिक होने के आरोपों से इनकार किया है, लेकिन उन्होंने यह माना है कि वे बांग्लादेश गए थे और छात्र आंदोलन में शामिल हुए थे। न्यूटन का कहना है कि वे 2014 से काकद्वीप विधानसभा क्षेत्र के मतदाता हैं और उसी वर्ष लोकसभा चुनाव में मतदान भी किया था।
उन्होंने यह भी बताया कि वर्ष 2017 में उनका मतदाता पहचान पत्र खो गया था और 2018 में उन्हें नया कार्ड जारी किया गया। इस नए कार्ड को प्राप्त करने में तृणमूल कांग्रेस के विधायक मंतुराम पाखिरा ने उनकी मदद की थी।