jp

नई दिल्ली, 1 दिसंबर । संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन राज्यसभा के सभापति सीपी राधाकृष्णन का अभिनंदन किया गया। इस अवसर पर सदन के नेता जेपी नड्डा ने कहा कि सभापति राधाकृष्णन ने सत्य को समझा है और जीवन का मार्ग चुनने की कला को अपने जीवन में अपनाया है।

नड्डा ने कहा, “मल्लिकार्जुन खरगे साहब कह रहे थे कि आप कांग्रेस के घराने से आते हैं। मैं इसे दूसरे तरीके से देखता हूं। कांग्रेस घराने से आते थे और संघ की शाखा से जुड़े। आपके बड़ों ने तकरीर भी की, ये भी कहा कि ये गैर राष्ट्रवादी हैं, आपका जवाब था कि मैंने उनको देखा-परखा है, साथ काम किया है और वह राष्ट्रवादी हैं और सही राष्ट्रवादी हैं।”

उन्होंने कहा कि सभापति कभी दवाब में नहीं आए। स्वचेतना से आपने अपने जीवन की विचारधारा की राह तय की। सारा जीवन सामाजिक कार्यों में गया। आपका काम करने का तरीका समाज के प्रति समर्पण हमेशा दिखता रहा। भले ही सभापति का अनुभव राजनीतिक क्षेत्र में रहा है, लेकिन वे सदैव सामाजिक मुद्दों के प्रति प्रतिबद्ध रहे हैं। उन्होंने राधाकृष्णन द्वारा निभाई गई भूमिकाओं का उल्लेख किया— दो बार सांसद, अहम कमेटियों में रहे और महाराष्ट्र व झारखंड के राज्यपाल के रूप में सेवा की।

उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि राधाकृष्णन समर्पण के साथ राज्यसभा का नेतृत्व करेंगे। नड्डा ने सर्वपल्ली राधाकृष्णन के शब्दों का उल्लेख करते हुए कहा कि हमें संसद का जिम्मेदार सदस्य होना चाहिए, न कि गैर-जिम्मेदार पेशेवर आंदोलनकारी।

इससे पहले सदन में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने उपराष्ट्रपति एवं नवनियुक्त सभापति राधाकृष्णन का स्वागत करते हुए आश्वासन दिया कि सदन की निष्पक्ष एवं सुचारु कार्यवाही में विपक्ष पूर्ण सहयोग देगा। उन्होंने आग्रह किया कि सदन में विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों के सदस्यों को समान अवसर मिलना चाहिए।

खरगे ने अपने पूर्व सभापति के “अप्रत्याशित और अचानक” इस्तीफे का उल्लेख किया और कहा कि राज्यसभा पूरे सदन की संरक्षक है, यह जितनी सरकार की है उतनी ही विपक्ष की भी है। इस टिप्पणी पर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने आपत्ति जताई। खरगे ने कहा कि उन्हें अफसोस है कि सदन को पूर्व सभापति जगदीप धनखड़ को विदाई देने का अवसर नहीं मिला। खरगे के इस बयान पर सदन में हंगामा शुरू हो गया। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने शोरगुल के बीच कहा कि सदन में विपक्ष के नेता का बयान दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्हें इस मौके पर पूर्व सभापति का जिक्र नहीं करना चाहिए था। कांग्रेस ने दो बार उनके खिलाफ पद से हटाने का नोटिस दिया था और उसकी कॉपी भी मौजूद है। उन्होंने उनका अपमान किया और आज इस पवित्र मौके पर सदन को ज्ञान दे रहे हैं। इस पर जेपी नड्डा ने हस्तक्षेप करते हुए इस मुद्दे को अप्रासांगिक बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ही पूर्व सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ले कर आई थी। नड्डा ने कहा कि प्रधानमंत्री ने सदन के बाहर अपना वक्तव्य दिया। बिहार, हरियाण की हार ने कांग्रेस को तकलीफ पहुंचाई है। उस तकलीफ को डॉक्टरों के सामने बोलना चाहिए। फिलहाल सभापति का अभिनंदन चल रहा है तो सभी सदस्य उसी पर केंद्रित रहें तो अच्छा रहेगा। इसके बाद तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्राइन, डीएमके के त्रिची शिवा, आरपीआई(ए) के रामदास आठवले सहित सभी दलों के नेताओं ने उनका स्वागत किया। अंत में सभापति राधाकृष्णन ने सभी सदस्यों का आभार जताया। उन्होंने भारत माता को प्रणाम करते हुए सभी नए सदस्यों का सदन में स्वागत किया। उन्होंने सभी को विश्वास दिलाया कि सदन की महान परंपरा को कायम रखेंगे। उन्होंने सदन में बतौर सभापति अपने कार्यकाल की शुरुआत के मौके पर यह भी कहा कि हमें किसी की भावनाएं आहत करने का कोई अधिकार नहीं है। हमें दूसरों के भिन्न विचारों के प्रति सहनशीलता रखनी चाहिए।