भोपाल, 12 अगस्त । मध्य प्रदेश के श्योपुर जनपद स्थित कूनो राष्ट्रीय उद्यान से राजस्थान के सवाई माधोपुर जनपद स्थित रणथंभौर अभयारण्य में पहुंची मादा चीता ‘ज्वाला’ को वन विभाग की टीम ने मंगलवार को रेस्क्यू कर लिया है। रेडियो कॉलर की मदद से लोकेशन ट्रेस करते हुए कूनो की टीम मौके पर पहुंची और विशेषज्ञों की मदद से ज्वाला को बेहोश कर वाहन से सुरक्षित कूनो लाया गया।

दरअसल, सवाई माधोपुर का बालेर गांव मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले से सटा हुआ है। मादा चीता ज्वाला को कूनो के खुले बाड़े में रखा गया है। यहां से वह 130 किलोमीटर दूर सवाई माधोपुर जिले के बालेर गांव पहुंच गई। सोमवार देर शाम ज्वाला को रणथंभौर पार्क क्षेत्र में देखा गया, जो एक दिन पूर्व मानपुर और काशीपुर (मध्यप्रदेश) में देखी गई थी। इसके बाद दोनों राज्यों की वन्यजीव टीमें अलर्ट पर थीं। उसकी मूवमेंट पर सुरक्षा कैमरों और रेडियो कॉलर के जरिए 24 घंटे निगरानी रखी जा रही थी।

मंगलवार अलसुबह राजस्थान के बहरावंडा कलां थाना क्षेत्र के करीरा गांव में उसने दो बकरियों का शिकार कर लिया। घटना के बाद से वह बकरियों के बाड़े के पास ही मौजूद रही। मंगलवार सुबह 6 बजे ग्रामीणों ने बाड़े में चीता को देखा तो टाइगर रिजर्व टीम को सूचना दी। सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची, लेकिन चीता के एग्रेसिव होने कारण टीम रेस्क्यू नहीं कर पाई। इसके बाद कूनो नेशनल पार्क के अधिकारियों को जानकारी दी गई। मौके पर मध्य प्रदेश के कूनो अभयारण्य की ट्रैकिंग टीम और राजस्थान वन विभाग की टीम उस पर नजर रख रही थी। कूनो नेशनल पार्क की टीम सुबह करीब 10 बजे बालेर गांव पहुंची और 15 मिनट में ज्वाला को ट्रैंकुलाइज कर कूनो ले आई।

वन विभाग ने कहा था कि फिलहाल वह सुरक्षित है, लेकिन रणथंभौर में पहले से मौजूद बाघों के साथ आमना-सामना होने पर खतरे की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। सिंह परियोजना के सीसीएफ उत्तम शर्मा ने बताया कि यह मूवमेंट संभवतः ज्वाला के नए क्षेत्र की तलाश और शिकार की उपलब्धता से जुड़ा है। ऐसे मामलों में जंगली जीव अक्सर अपने पुराने क्षेत्र से निकलकर नए इलाकों में जाते हैं, जहां उन्हें पर्याप्त शिकार और अनुकूल वातावरण मिल सके। उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश और राजस्थान की वन विभाग टीमें सतर्कता बरत रही थीं। ग्रामीणों को भी सतर्क रहने और वन विभाग को किसी भी गतिविधि की सूचना तुरंत देने के निर्देश दिए गए थे। विभाग का मानना है कि अगर ज्वाला रणथंभौर में अधिक समय तक रहती है, तो उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष रणनीति अपनानी होगी।——–