
कोलकाता, 24 मार्च । भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) माकपा ने पार्टी के अगले महासचिव के चयन का फैसला पार्टी कांग्रेस के सुपुर्द कर दिया है। मौजूदा महासचिव सीताराम येचुरी के आकस्मिक निधन के बाद उनके उत्तराधिकारी को लेकर असमंजस बरकरार है। अब इस पर अंतिम निर्णय अप्रैल में तमिलनाडु के मदुरै में होने वाली पार्टी कांग्रेस में लिया जाएगा।
बंगाल में पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया है कि मोहम्मद सलीम को यह जिम्मेदारी मिल सकती है। हालांकि राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के सूत्रों के मुताबिक, केरल से एम. ए. बेबी का नाम प्रमुख दावेदारों में है, लेकिन उनके नाम पर वहां के नेताओं में मतभेद हैं। दूसरी ओर, बंगाल से मोहम्मद सलीम का नाम आगे बढ़ाने को लेकर राज्य के नेताओं ने कोई आपत्ति नहीं जताई है। बंगाल के कई वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व में बंगाल की भूमिका को मजबूत करने के लिए सलीम को समर्थन दिया जाना चाहिए। इस बीच, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन द्वारा सलीम को भेजे गए आमंत्रण ने राजनीतिक अटकलों को और तेज कर दिया है।
माकपा के इतिहास में अब तक कोई अल्पसंख्यक या महिला महासचिव नहीं बना है। लेकिन इस बार शीर्ष पद के लिए जिन दो नामों पर चर्चा हो रही है, वे दोनों ही अल्पसंख्यक समुदाय से आते हैं। पार्टी ने अल्पसंख्यक नेतृत्व को आगे लाकर अपनी स्थिति मजबूत करने की रणनीति बनाई है। हालांकि, इससे पार्टी के पुनरुद्धार की संभावना कितनी मजबूत होगी, इस पर संशय बरकरार है।
बंगाल में मोहम्मद सलीम को प्रदेश सचिव बनाए जाने के बावजूद पार्टी को कोई बड़ा फायदा नहीं हुआ। राज्य मेंमाकपा का जनाधार लगातार घट रहा है, और अलीमुद्दीन स्ट्रीट स्थित पार्टी मुख्यालय की राजनीतिक स्थिति कमजोर बनी हुई है। छात्र-युवा संगठनों को आगे लाने की कोशिशें भी नाकाम साबित हुई हैं। त्रिपुरा में भी माकपा को सत्ता गंवाए सात साल हो चुके हैं, जबकि केरल में पिनाराई विजयन की सरकार कठिन दौर से गुजर रही है।
माकपा की पोलित ब्यूरो में अधिकांश सदस्य वृद्धावस्था की ओर बढ़ रहे हैं। 15 सदस्यीय पोलित ब्यूरो में प्रकाश करात, वृंदा करात, माणिक सरकार, सूर्यकांत मिश्रा, पिनाराई विजयन और अशोक धावले जैसे वरिष्ठ नेता पार्टी की निर्धारित उम्र सीमा पार करने वाले हैं। ऐसे में, सीताराम येचुरी के उत्तराधिकारी को लेकर पार्टी के भीतर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
बंगाल में माकपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि शनिवार और रविवार को दिल्ली में हुई केंद्रीय समिति की बैठक में इस विषय पर लंबी चर्चा हुई, लेकिन कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जा सका। अब यह तय किया गया है कि अप्रैल के पहले सप्ताह में मदुरै में होने वाली पार्टी कांग्रेस में ही महासचिव के नाम पर अंतिम मुहर लगेगी।
माकपा का राष्ट्रीय नेतृत्व इस समय समन्वयक के रूप में प्रकाश करात की भूमिका पर निर्भर है। लेकिन इसी बीच, स्टालिन ने ‘इंडी’ गठबंधन के मुख्यमंत्रियों और नेताओं की बैठक में प्रकाश करात को नजरअंदाज कर सीधे मोहम्मद सलीम को आमंत्रित कर दिया। इस फैसले ने राजनीतिक हलकों में नई अटकलों को जन्म दिया है।