नई दिल्ली, 05 अक्टूबर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को भारत के महान संतों की शिक्षाओं और  प्रेम, दया और न्याय के उनके संदेश की याद दिलाते हुए देशवासियों से उनके आदर्शों का अनुगमन करने का आह्वान किया।

मोदी ने कहा, “ महान संतों की शिक्षाओं के समान सूत्र से जुड़ी हमारे सांस्कृतिक ज्ञान में विविधता, समय और स्थान की सीमाओं से बढ़कर है और यह ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के हमारे सामूहिक विचार को ताकत देती है।” उन्होंने यह बात ऐसे समय कही है जबकि देश में जाति आधारित जनगणना पर बहस छिड़ी हुई है और मोदी अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदियों पर राजनीतिक फायदे के लिए विभेदकारी एजेंडा चलाने का आरोप लगा चुके हैं।

वह गुरुवार को तमिल में जन्मे 19वीं सदी के महान संतकवि श्री रामलिंग स्वामी जी की 200 वीं जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। संत रामलिंग स्वामी को वल्लालर के नाम से भी जाना जाता है। उनकी स्मृति में यह कार्यक्रम वडालुर में आयोजित किया गया था।

मोदी ने कार्यक्रम में अपने ऑनलाइन संबोधन में लोगों से महान संतों के प्रेम, दया और न्याय के संदेश को फैलाने तथा अपने आस पास के लोगों की भूख मिटाने और हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिलाने के प्रयास में सहयोग करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “ जब मैं वल्लालर को श्रद्धांजलि देता हूं तो सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास में मेरा विश्वास और भी मजबूत हो जाता है। ”

मोदी ने कहा वल्लालर हमारे सबसे सम्मानित संतों में से एक हैं। उनका मानना था कि भूखे लोगों के साथ भोजन साझा करना दयालुता के सबसे महान कार्यों में से एक है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सामाजिक सुधारों के मामले में वल्लालर अपने समय से आगे थे। भगवान के बारे में वल्लालर की दृष्टि धर्म, जाति और पंथ की बाधाओं से परे थी। उन्होंने ब्रह्मांड के प्रत्येक परमाणु में दिव्यता देखी। उन्होंने मानवता से इस दिव्य संबंध को पहचानने और संजोने का आग्रह किया। उनकी शिक्षाओं का उद्देश्य एक समान समाज के लिए काम करना था। उन्होंने इस पवित्र अवसर पर लोगों से महान संतों के आदर्शों को पूरा करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराने का आह्वान किया।

वह 19वीं सदी में इस धरती पर आये और उनकी आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करती है। उनका प्रभाव वैश्विक है, उनके विचारों और आदर्शों पर कई संस्थायें काम कर रही हैं। मोदी ने इसी संदर्भ में कोविड-19 महामारी के दौरान भारत में 80 करोड़ भारतीयों को मुफ्त राशन उपलब्ध कराने की अपनी सरकार की पहल का भी उल्लेख किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि संत वल्लालर सीखने और शिक्षा की शक्ति में विश्वास करते थे। वह चाहते थे कि युवा तमिल, संस्कृत और अंग्रेजी में पारंगत हों। उन्होंने कहा कि संत वल्लालर के कार्यों को पढ़ना और समझना भी आसान है क्योंकि वह जटिल आध्यात्मिक ज्ञान को सरल शब्दों में व्यक्त कर सकते थे।

मोदी ने कहा, “ तीन दशकों से अधिक समय के बाद, भारत को एक राष्ट्रीय शिक्षा नीति मिली है। यह नीति संपूर्ण शैक्षिक परिदृश्य को बदल रही है। अब ध्यान नवप्रवर्तन, अनुसंधान और विकास पर केंद्रित हो गया है। ”

मोदी ने कहा कि पिछले नौ वर्षों में स्थापित विश्वविद्यालयों, इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों की संख्या रिकॉर्ड ऊंचाई पर है। अब युवा अपनी स्थानीय भाषा में पढ़ाई करके डॉक्टर और इंजीनियर बन सकते हैं। इससे युवाओं के लिए कई अवसर खुले हैं।

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा, “ मुझे आज विश्वास है कि विधायिका में महिला आरक्षण के लिए नारी शक्ति वंदन विधेयक पारित होने का आशीर्वाद उन्होंने दिया होगा। तिरुवरुतप्रकाश वल्लालर चिदम्बरम रामलिंगम का जन्म पांच अक्टूबर 1823 को तमिलनाडु के तत्कालीन मरुदूर (चिदंबरम) में हुआ था। वह सबसे प्रसिद्ध तमिल शैव संतों में से एक थे। उन्हें तमिल संत कवियों की उस पंक्ति में सबसे ऊपर रखा जाता है जिन्हें ‘ ज्ञान सिद्धार ’ के रूप में जाना जाता है। उनका निधन 30 जनवरी 1874 को हुआ।