
रांची, 23 मई । विश्वकर्मा लोहार समाज झारखंड प्रदेश की बैठक 25 मई को पुराने विधानसभा के सभागार में होगी। बैठक के जरिए अपने अस्तित्व और पहचान के लिए पूरे झारखंड के लोहार एक मंच पर आएंगे। इसमें राज्य के विभिन्न हिस्सों से समाज के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। विश्वकर्मा लोहार समाज अपने आप को विश्वकर्मा के वंशज मानते हुए लोहे को विभिन्न प्रकार के आकार देकर घरेलू उपयोग में आने वाली सामग्री का निर्माण करते हैं।
समाज के सुरेंद्र विश्वकर्मा ने शुक्रवार को बताया कि लोहार जाति भारतीय संविधान में अनुसूचित जनजाति में दर्ज है।
उन्हाेंने कहा कि झारखंड सरकार लोहार जाति को लोहार और लोहारा में बांटकर अनुसूचित जनजाति की सुविधा से वंचित कर रखा है। लोहार सुदूर ग्रामीण इलाकों में गांव के लोगों को कृषि के औजार उपलब्ध कराते हैं। इसलिए झारखंड में लोहारों की स्थिति राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से काफी पिछड़ता जा रहा है।