कोलकाता, 19 सितंबर। पश्चिम बंगाल के डीवाईएफआई की राज्य सचिव, मीनाक्षी मुखर्जी, गुरुवार को आरजी कर अस्पताल के रेप-मर्डर मामले की जांच के सिलसिले में सीबीआई के सॉल्ट लेक कार्यालय में पेश हुईं। डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की युवा इकाई है।

मुखर्जी ने सीबीआई कार्यालय पहुंचने पर कहा, “मैं हर तरीके से सीबीआई अधिकारियों के साथ सहयोग करूंगी।” वह आज सुबह उत्तर बंगाल के रायगंज से लौटने के बाद एजेंसी के कार्यालय में पेश हुईं। सूत्रों के अनुसार, कुछ दिन पहले एक व्यक्ति ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताते हुए मिनाक्षी से संपर्क किया था। माकपा द्वारा उस व्यक्ति की पहचान की पुष्टि करने के बाद ही मिनाक्षी ने सीबीआई कार्यालय जाने का फैसला किया।

मीनाक्षी मुखर्जी ने नौ अगस्त को आरजी कर अस्पताल में मृतक महिला डॉक्टर के माता-पिता से मुलाकात की थी, जब अस्पताल के सेमिनार हॉल से डॉक्टर का शव बरामद किया गया था।

सीपीआई (एम) ने लगातार दावा किया है कि डॉक्टर के शव का जल्दी से अंतिम संस्कार करने के प्रयासों का विरोध मुख्य रूप से मीनाक्षी मुखर्जी के प्रयासों के कारण हुआ। उसी रात, मुखर्जी को आरजी कर अस्पताल से महिला डॉक्टर का शव ले जा रही पुलिस की गाड़ी को रोकते हुए देखा गया था।

माकपा की ओर से दावा किया गया था कि मिनाक्षी की कोशिशों के कारण ही पीड़िता के शव का जल्द अंतिम संस्कार नहीं हो सका। पार्टी के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने भी यही आरोप दोहराया था। सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीरों में दिखा था कि मिनाक्षी पुलिस की गाड़ी को रोक रही थीं, हालांकि इस वीडियो की सत्यता की पुष्टि नहीं की जा सकी है।

11 अगस्त को आरजी कर अस्पताल के बाहर मिनाक्षी के नेतृत्व में वामपंथी युवा संगठन डीवाईएफआई के सदस्यों ने धरना दिया था। 14 अगस्त की रात को एक उग्र भीड़ ने अस्पताल में तोड़फोड़ की थी, जिसमें माकपा के युवा संगठन के झंडे देखे गए थे। यह वीडियो भी सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रसारित हुआ था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी कहा था कि डीवाईएफआई के झंडे तोड़फोड़ में शामिल लोगों के पास देखे गए थे।

इससे पहले, 26 अगस्त को भी मिनाक्षी को इस मामले में कोलकाता पुलिस ने नोटिस भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया था। इसके जवाब में मिनाक्षी और उनके समर्थकों ने रैली निकालकर लालबाजार पुलिस मुख्यालय का रुख किया था और आरोप लगाया था कि पुलिस को तोड़फोड़ में शामिल असली आरोपितों की जानकारी है।