
कोलकाता, 20 अगस्त। मेदिनीपुर थाना क्षेत्र की दो छात्र नेता एआईडीएसओ की सुश्रीता सोरेन और एसएफआई की सुचरिता दास ने पुलिस पर थाने में ले जाकर उत्पीड़न करने का गंभीर आरोप लगाया था। इस मामले में दायर याचिका पर कलकत्ता हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने विशेष जांच दल (एसआईटी) गठन कर जांच का आदेश दिया था। राज्य सरकार ने इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में अपील की थी।
बुधवार को न्यायमूर्ति देवांशु बसाक और न्यायमूर्ति मोहम्मद शब्बार रशीदी की खंडपीठ ने सिंगल बेंच के फैसले को बरकरार रखा और राज्य की अपील खारिज कर दी। अदालत ने स्पष्ट किया कि एसआईटी द्वारा जांच और आरोपित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश पूरी तरह उचित है, इसमें किसी प्रकार के हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है।
सुनवाई के दौरान राज्य के अधिवक्ताओं की बार-बार गैरहाजिरी पर अदालत ने कड़ी नाराजगी जताई है। न्यायमूर्ति बसाक ने टिप्पणी की कि ऐसे अधिवक्ता राज्य के लिए एक प्रकार के बोझ हैं। अंततः देर से एक अधिवक्ता पेश हुए और यह दलील दी कि जब एसआईटी जांच कर रही है तो मानवाधिकार आयोग को समानांतर जांच नहीं करनी चाहिए। हालांकि, अदालत ने इस तर्क को अस्वीकार करते हुए राज्य की दोनों अर्जियां खारिज कर दीं गई है।
गौरतलब है कि एक मार्च को तृणमूल समर्थित प्राध्यापकों के संगठन ‘वेबकूपा’ के वार्षिक सम्मेलन को लेकर जादवपुर विश्वविद्यालय में विवाद हुआ था, जिसमें एक छात्र घायल हो गया था। इसके विरोध में तीन मार्च को डीएसओ और एसएफआई समेत कई वामपंथी छात्र संगठनों ने हड़ताल का आह्वान किया था। मेदिनीपुर कॉलेज में भी इस दौरान आंदोलन हुआ, जहां पुलिस पर छात्र नेताओं ने महिला थाना में अमानवीय व्यवहार करने का आरोप लगाया था। इसी मामले में दाखिल याचिका पर हाईकोर्ट ने अब सिंगल बेंच के आदेश को ही बरकरार रखा है।