
कोलकाता, 3 मई । पश्चिम बंगाल के सागर दत्त मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक प्रसूता की मौत ने स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मचा दिया है। बताया जा रहा है कि सीजेरियन डिलीवरी के बाद दिए गए इंजेक्शन से अब तक कुल 11 महिलाएं गंभीर रूप से बीमार पड़ी हैं, जिनमें से एक की मौत हो गई है। यह मामला मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज में हुए जहरीले सलाइन कांड की पुनरावृत्ति जैसा माना जा रहा है।
जानकारी के अनुसार, रविवार और सोमवार को अस्पताल में कई महिलाओं की सिजेरियन डिलीवरी हुई थी। इसके बाद उन्हें एक एंटीबायोटिक इंजेक्शन लगाया गया। सोम और मंगलवार को कुल 11 महिलाएं बीमार पड़ीं। इनमें निमता की रहने वाली 35 वर्षीय पंपा सरकार की हालत गंभीर होने पर मंगलवार को आईसीयू में भर्ती किया गया, जहां उसी रात उनकी मौत हो गई। संदेह की सुई एमिकासिन नामक एंटीबायोटिक इंजेक्शन की ओर गई है, जिसके पूरे बैच को अस्पताल प्रशासन ने एहतियातन रद्द कर दिया है।
अस्पताल के सुपर सुजॉय मिस्त्री के नेतृत्व में सात सदस्यीय आंतरिक जांच कमेटी गठित कर दी गई है। हालांकि स्वास्थ्य भवन ने इस आंतरिक जांच को ज्यादा महत्व नहीं दिया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य शिक्षा विभाग के विशेष सचिव और कार्यकारी निदेशक अनिरुद्ध नियोगी मंगलवार रात ही सागर दत्त अस्पताल पहुंचे। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार पांच सदस्यीय जांच कमेटी का गठन कर रही है, जिसमें विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के विशेषज्ञ शामिल होंगे।
पंपा सरकार की मौत को लेकर स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि यह असामान्य मौत नहीं है और परिजनों ने भी पोस्टमार्टम की मांग नहीं की, इसलिए शव को नियमों के तहत सौंप दिया गया।
इस घटना ने चिकित्सक संगठनों को भी आंदोलित कर दिया है। सरकारी चिकित्सक संगठन सर्विस डॉक्टर्स फोरम के महासचिव सजल विश्वास ने न्यायिक जांच की मांग करते हुए कहा कि यह मामला मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज की घटना की याद दिलाता है, जहां मिलावटी रिंगर सलाइन के कारण एक प्रसूता की मौत और चार अन्य गंभीर रूप से बीमार पड़ी थीं। उन्होंने सागर दत्त की घटना में इस्तेमाल किए गए सभी इंजेक्शन और दवाओं की गहन जांच की मांग की।
मेडिकल सर्विस सेंटर के राज्य सचिव बिप्लव चंद्र ने कहा, “इस घटना की पूरी जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग को लेनी होगी। लगातार मिलावटी दवाओं और अस्पतालों में प्रसूताओं की मौत के मामले बढ़ रहे हैं, लेकिन सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। यदि सरकार फिर से डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों पर दोष मढ़ने की कोशिश करती है, तो हम बड़ा आंदोलन करेंगे।”
अस्पताल के एक वरिष्ठ चिकित्सक ने बताया कि जिस तरह से सिजेरियन के दो दिन बाद ही प्रसूता की मौत हुई है और उसमें सांस लेने में तकलीफ, सेप्सिस और मल्टीपल ऑर्गन फेलियर के लक्षण थे, उससे दवा की विषाक्तता की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।