
कोलकाता, 14 जून ।
बांग्लादेशी नागरिकों को भारत में अवैध रूप से बसाने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार कराने वाले एक अंतर्राज्यीय गिरोह के सरगना को महेशतला से गिरफ्तार किया गया है। रहड़ा थाना पुलिस ने विशेष सूचना के आधार पर इस कार्रवाई को अंजाम दिया। आरोपित की पहचान उत्तर प्रदेश के कुशीनगर निवासी अजय कुमार दास के रूप में हुई है, जो पिछले पांच वर्षों से महेशतला के एक आवासीय परिसर में अपने परिवार के साथ किराये पर रह रहा था।
पुलिस ने अजय के ठिकाने से भारी मात्रा में जाली आधार कार्ड, वोटर आईडी, पैन कार्ड आदि बरामद किए हैं। अधिकारियों को संदेह है कि इस गिरोह ने अब तक करोड़ों रुपये के फर्जी दस्तावेज बनवाए हैं। उसे महेशतला इलाके से मंगलवार को गिरफ्तार किया गया था और फिलहाल वह सात दिन की पुलिस हिरासत में है।
जांच में खुलासा हुआ है कि अजय वर्षों से अवैध रूप से भारत आए बांग्लादेशी नागरिकों के लिए वोटर कार्ड, आधार कार्ड, जन्म प्रमाणपत्र, पैन कार्ड और यहां तक कि पासपोर्ट तक बनवा रहा था। यह पूरा रैकेट वह महेशतला स्थित अपने फ्लैट से ही संचालित कर रहा था। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, वह एक दस्तावेज के लिए पांच हजार से लेकर 10 हजार तक वसूलता था, जबकि कुछ मामलों में यह रकम 50 हजार तक भी पहुंचती थी। जांच में यह भी सामने आया है कि इस काम में कुछ भ्रष्ट सरकारी कर्मचारियों की भी संलिप्तता हो सकती है।
हाल ही में रहड़ा से गिरफ्तार किए गए तीन बांग्लादेशियों से पूछताछ के बाद पुलिस को जियाउद्दीन मंडल नामक एक एजेंट का पता चला, जिसे 10 जून की रात इको पार्क इलाके से पकड़ा गया। उसी की निशानदेही पर पुलिस ने अजय को दबोचा। जियाउद्दीन को अजय के लिए एजेंट के रूप में काम करने के बदले कमीशन मिलता था। पुलिस को पता चला है कि ऐसे कई एजेंट अजय के लिए काम कर रहे थे।
अजय और उसका गिरोह चुनाव आयोग की वेबसाइट का दुरुपयोग करके काम करता था। वेबसाइट पर मौजूद निष्क्रिय या रद्द किए गए वोटर आईडी नंबरों का इस्तेमाल कर बांग्लादेशी नागरिकों की फोटो और भारतीय पते के साथ फर्जी कार्ड बना दिए जाते थे। इसके आधार पर अन्य दस्तावेज भी तैयार किए जाते थे, जिसके बाद पासपोर्ट और वीजा तक हासिल किया जाता था।
पुलिस इस बात की भी जांच कर रही है कि इस गिरोह ने अब तक कितने अवैध बांग्लादेशी नागरिकों को वैध भारतीय नागरिक बना डाला है। अनुमान है कि यह संख्या लाखों में हो सकती है। अजय का मोबाइल फोन और अन्य डिजिटल दस्तावेज खंगाले जा रहे हैं।
जांच अधिकारियों को शक है कि यह पूरा मामला एक बड़े अंतरराष्ट्रीय गिरोह से जुड़ा हो सकता है। बैरकपुर के डिप्टी पुलिस कमिश्नर (सेंट्रल) इंद्रबदन झा ने बताया, “गिरोह में और कौन-कौन शामिल है, यह गिरोह कैसे काम करता था, और कितने बांग्लादेशियों को फर्जी दस्तावेज दिलवाए गए—इन सभी पहलुओं की जांच की जा रही है। अजय से पूछताछ जारी है।”