कोलकाता, 16 अप्रैल । फिलहाल देश में लोकसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू है। नियम अनुसार किसी भी राज्य के मुख्यमंत्री, मंत्री या कोई भी पार्टी का नेता किसी भी प्राकृतिक आपदा में वित्तीय मुआवजे का ऐलान नहीं कर सकता। इसके बावजूद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को उत्तर बंगाल की जनसभा के मंच से ऐलान कर दिया कि जलपाईगुड़ी में आपदा पीड़ितों को 1.20 लाख रुपये की वित्तीय मदद दी जाएगी। यही नहीं उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी ने भी ऐसी ही घोषणा कर दी लेकिन चुनाव आयोग इस पर खामोश बना हुआ है।
दरअसल इतने दिनों तक मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपनी जनसभाओं में कह रही थीं कि चुनाव आयोग तूफान पीड़ितों के लिए राहत राशि प्रदान करने की अनुमति नहीं दे रहा।
सोमवार को ही वरिष्ठ भाजपा विधायक और नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने एक पोस्ट कर कहा कि ममता बनर्जी और उनके भतीजे लगातार झूठ बोल रहे हैं क्योंकि नौ अप्रैल को ही चुनाव आयोग ने राहत राशि देने की अनुमति दे दी है। इसके बाद अचानक ममता बनर्जी का बयान बदला और उन्होंने वित्तीय मुआवजे का ऐलान कर दिया।
इसे लेकर एक तरफ उन पर आदर्श आचार संहिता उल्लंघन के आरोप लग रहे हैं। दूसरी तरफ चुनाव आयोग की खामोशी भी सवालों के घेरे में है। आयोग के एक सूत्र ने बताया कि इतने दिनों तक आयोग की ओर से रोक लगाए जाने की बात ममता बनर्जी कर रही थी और अब उन्होंने आखिरकार एक तरह से स्वीकार किया है कि चुनाव आयोग की ओर से कोई रोक नहीं है। इसलिए फिलहाल नजरअंदाज किया जा रहा है। विपक्षी दलों की ओर से इस मामले में शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद निश्चित तौर पर कार्रवाई के बारे में सोचा जाएगा।