कोलकाता, 04 अगस्त । झारखंड के बांधों से पानी छोड़ने के मुद्दे पर रविवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से बात की और उनसे विचार करने का अनुरोध किया। बनर्जी ने कहा कि झारखंड से पानी छोड़े जाने के कारण पश्चिम बंगाल में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो रही है।

ममता बनर्जी ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से बात करके उनसे बाढ़ की स्थिति पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि टेनुघाट से अचानक बड़ी मात्रा में पानी छोड़े जाने से पश्चिम बंगाल में बाढ़ की नौबत आ गई है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि वह स्थिति की निगरानी कर रही हैं और जिलों के वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत कर आवश्यक निर्देश दे रही हैं।

उन्होंने कहा कि मैंने दक्षिण बंगाल और उत्तर बंगाल के सभी जिलाधिकारियों से बात की है और उन्हें अगले 3-4 दिनों में किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए सतर्क रहने और सभी एहतियाती उपाय करने के निर्देश दिए हैं।

उन्होंने कहा कि दामोदर वैली कॉरपोरेशन (डीवीसी) झारखंड और पश्चिम बंगाल में कई जलविद्युत परियोजनाओं का संचालन करता है। डीवीसी ने रविवार सुबह झारखंड-पश्चिम बंगाल सीमा पर स्थित पंकेट और मैथन बांधों से 1.2 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा, जबकि शनिवार को 90 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया था। डीवीसी के मुताबिक झारखंड के टेनुघाट से पानी का प्रवाह कम होने की उम्मीद है, क्योंकि वर्षा में कमी आई है। डीवीसी मैथन के कार्यकारी निदेशक अंजनी दुबे ने कहा कि अब टेनुघाट से कम पानी छोड़ा जाएगा, क्योंकि वर्षा में कमी आई है। इसका मतलब है कि मैथन और पंकेट से भी कम पानी छोड़ा जाएगा।

दुबे ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार ने नदियों की जल वहन क्षमता में सुधार किया है, जिससे वे अब 1.5 लाख क्यूसेक पानी संभाल सकती हैं, जो पहले 70 हजार क्यूसेक थी। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि अब बाढ़ का कोई खतरा है, वर्षा में कमी और पश्चिम बंगाल सरकार के अच्छे नदी खुदाई और जल प्रबंधन कार्यों के कारण, जो जल धारण क्षमता को लगभग दोगुना करके 1.5 लाख क्यूसेक तक पहुंचा दिया है।

दुर्गापुर बैराज मैथन और पंकेट से पानी के छोड़ने के लगभग 12 घंटे बाद पानी प्राप्त करता है। पश्चिम बंगाल सरकार ने पहले ही स्थिति का जायजा लिया है और मानव जीवन की सुरक्षा के उपाय किए हैं, डीवीसी को अचानक भारी पानी छोड़ने के खिलाफ चेतावनी दी है। दक्षिणी पश्चिम बंगाल में पूर्व और पश्चिम बर्दवान, बीरभूम, पश्चिम और पूर्व मेदिनीपुर, बांकुड़ा, हुगली और हावड़ा सहित कई जिलों पर डीवीसी से पानी छोड़े जाने का प्रभाव पड़ता है। पानी छोड़ने का निर्णय दामोदर वैली जलाशय विनियमन समिति (डीवीआरआरसी) लेती है, जिसमें पश्चिम बंगाल सरकार के प्रतिनिधि भी शामिल होते हैं। एक राज्य सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि किसी भी नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर नहीं है, हालांकि दामोदर नदी खतरे के निशान के करीब हैं।